सोहौला-मझबोगवां में अवैध प्लाटिंग, कलेक्टर से शिकायत
सतना | जमीनों के घोटाले व अतिक्रमण का मझबोगवां अब नया हाटस्पाट बनता जा रहा है। हाल ही में यहां सामने आए सरकारी जमीन के घोटाले की विधानसभा द्वारा तलब की गई जानकारी तैयार कर जिला प्रशासन फु र्सत ही पाया था कि एक और जमीनी मामले ने अधिकारियों की परेशानी बढ़ा दी ।
आरोप हैं कि मझबोगवां में राजस्व महकमे के ही कर्मचारियों की सरपरस्ती में प्लाटिंग कराई जा रही है और इसके लिए सार्वजनिक निस्तार की भूमियों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि जिसने इस मामले की शिकायत आला अधिकारियों से करते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई उसके खिलाफ ही नोटिस काट दी गई है, हालांकि इस मामले में राजस्व अमले का कहना है कि शिकायतकर्ता स्वयं शासन की 90 डिसमिल जमीन पर काबिज है जिसके चलते उसे नोटिस दी गई है।
क्या है मामला
दरअसल मौजा सोहौला मझबोगवां हल्का बाबूपुर में आराजी क्र. 39/1, 39/2ख एवं आराजी क्र.45 सरकारी भूमि के तौर पर रिकार्ड में दर्ज हैं। आरोप हैं कि इन सरकारी आराजियों से सटी आराजियों की आड़ में सरकारी आराजियों में न केवल कब्जा किया जा रहा है बल्कि उन पर प्लाटिंग भी की जा रही है। आरोप हैं कि पूर्व में पदस्थ एक पटवारी अपनी पत्नी के नाम से जमीन क्रय-विक्रय कर रहे हैं तो वहीं एक महिला ने भी सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है।
इसकी शिकायत शिवकांत पाठक, राकेश कुमार गौतम, विनय कुमार शुक्ला, अनुपम शुक्ला, कृष्णकुमार मिश्रा, श्रीकृष्ण तिवारी, रामबिहारी पाठक, श्याम बिहारी समेत कई ग्रामीणों द्वारा कलेक्टर से 27 नवंबर व 22 दिसंबर को गई। आला अधिकारियों से की गई शिकायत स्थानीय राजस्व अमले को इस कदर नागवार गुजरी कि नायब तहसीलदार ने खसरा नं. 30 रकबा 0.829 हे. मप्र शासन की भूमि के अंश रकबा 0.5 जरीब बाई 18 जरीब पर शिवकांत पाठक का कब्जा दर्शाते हुए मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत 7 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया जबकि शिवकांत पाठक द्वारा 19 नवंबर को नायब तहसीलदार कार्यालय में ही भूमि के सीमांकन का आवेदन लगा रखा है और ‘ 40 रूपए का निर्धारित शुल्क जमा कर सीमांकन के लिए पंजीयन क्र. आरएस/ 429/ 0736/ 4318/ 2020 हासिल किया गया है।
शिवकांत का आरोप है कि शासकीय भूमि पर अवैध प्लाटिंग की शिकायत के कारण उन्हें कार्रवाई का शिकार बनाया जा रहा है। दिलचस्प बात तो यह है कि सीमांकन के लिए आवेदन कर चुके शिवकांत पाठक को तो धारा 248 की नोटिस दी गई लेकिन जो सड़क के किनारे डंके की चोट पर अतिक्रमण कर चुके हैं और चारागाह व साशकीय जमीन पर सड़क बना रहे हैं उनसे राजस्व महकमा क्यों आंखे फेरे हुए है, यह रहस्य ही है। इस मामले में पटवारी रश्मि शुक्ला का कहना है कि शिवकांत पाठक का भी अन्यअतिक्रमणकारियों की तरह मप्र शासन की आराजी में अतिक्रमण है जिसके चलते उन्हें भी अन्य ग्रामीणों की तरह नोटिस दी गई है। इसमें पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि ऐसा कोई अतिक्रमण हमारे हलके की आराजी में नहीं है।
विधानसभा में गूंज चुका यहां का फर्जीवाड़ा
मझबोगवां की सरकारी जमीन का फर्जीवाड्रा विधानसभा में गूंज चुका है बावजूद इसके राजस्व अमला बेफिक्र बना हुआ है। हालांकि सदन में इस आराजी का मामला नहीं उठा था बल्कि एक और आराजी पर सवाल उठे थे । हाल ही में विधायक जुगुल किशोर बागरी ने विधानसभा में मझबोगवां की सरकारी आराजियों के संबंध में पूछा था कि मझबोगवां की आराजी क्र. 39 से 45 व सोहौला में 30,31,32,33 जैसी आराजियों के संबंध पटवारी व हल्कावार जानकारी मांगकर पूछा था कि यहां कितनी सरकारी आराजियां बची हैं तथा जिन पर अतिक्रमण हैं उनमें से कितनी खाली कराई गई हैं? इसके अलावा विधायक ने यह भी पूछा है कि जो शासकीय भूमि बाद में निजी की गर्इं वह किसके आदेश से की गई हैं तथा कौन से अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं? उन पर क्या कार्रवाई हुई हैं?