केवल कंस्ट्रक्शन वर्क पर ध्यान, वाइल्ड लाइफ से अंजान

सतना | नकुल की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत के बाद एक और बैठक का आयोजन किया गया। ऐसा हर बाघ की मौत के बाद होता है। एक सप्ताह के भीतर हुई गोपी और नकुल की मौत ने संभवत: पहली बार बाघों की सुरक्षा के प्रति वन अधिकारियों को संजीदा किया है लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई अब तक निर्धारित नहीं की जा सकी है। यदि मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी प्रबंधन से जुड़े सूत्रों की मानें तो टाइगर सफारी में बाघों की मौत अनाड़ियों के हाथ सफारी की कमान देने से हो रही है।

प्रदेश के तमाम वन्य प्राणी विशेषज्ञ अभयारण्यों व सफारी में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स की तैनाती की बात उठाते रहे हैं लेकिन सरकार इस बात को लगातार अंदाज कर ऐसे अधिकारियों की तैनाती करती रही है जो वाइल्डलाइफ का ककहरा भी नहीं जानते हैं। मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां विगत तीन-चार साल से संजय रायखेड़े को डारेक्टर का जिम्मा दिया गया है।

सफारी से जुड़े सूत्रों की मानें तो डायरेक्टर संजय रायखेड़े जब से आए हैं तबसे निर्माण कार्य तो अंधाधुंध कराए हैं, लेकिन वन्य प्राणियों के रख-रखाव की व्यवस्था को नजरंदाज करते रहे हैं। सूत्रों की मानें तोसफारी के निर्माण कार्यों में जमकर कमीशन बाजी की जाती है जिसके चलते यहां निर्माण को तोप्राथमिकता दी जाती है लेकिन जिन वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए निर्माण कराएजाते हैं उनकी सेहत को लेकर किसी को फिक्र नहीं है।

बताया जाता है कि सफारी में बाड़ा निर्माण, चैन फेंसिंग जैसे कामों की सप्लाई के लिए आपूर्तिकर्ता सेट हैं जोविगत लंबे अरसे से मनमाने रेट पर सामग्रियों की आपूर्ति कर रहे हैं। बताया जाता है कि सफारी के अधिकांशबाघ इन्ही के कार्यकाल में काल कवलित हुए हैं बावजूद इसके इनाम स्वरूप बुलाकर तबादले के बाद संजयराय खेड़े को कमान दे दी गई है। 

आॅनलाइन बैठक में फिर बनी बजट के व्यवस्था की रणनीति 
महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव वाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर के मैनेजमेंट तथा वन्य प्राणियों के रख-रखाव के संबंध में पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल की अध्यक्षता में आॅनलाइन बैठक आयोजित हुई जिसमें आलोक कुमार प्रधान मुख्य संरक्षण वन्य प्राणी मध्यप्रदेश, डॉ. एबी श्रीवास्तव जबलपुर, डॉ. मधु स्वामी, डॉ. योगेश चतुर वेटरनरी कॉलेज रीवा, डॉ. अदिति दीक्षित, डॉ. जेपी त्रिपाठी पशु चिकित्सा विभाग के साथ-साथ मुख्य वन संरक्षक रीवा आनंद कुमार सिंह, डॉ. अभय सेंगर संजय टाइगर रिजर्व, डीएफओ सतना राजेश राय, व्हाइट टाइगर सफारी संजय रायखेड़े संचालक ने भाग लिया।

आॅनलाइन बैठक में जू प्रबंधन की दृष्टि से की जाने वाली प्रशासनिक व्यवस्था एवं वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए अपनाई जाने वाली आवश्यक व्यवस्था एवं चिकित्सा के संबंध में तकनीकी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही उक्त कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु दक्ष चिकित्सकों की टीम द्वारा सतत निरीक्षण एवं उपचार के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हेतु बजट की व्यवस्था के लिए दिशा तय की गई। बैठक में ब्रीडिंग सेंटर एवं रिसर्च सेंटर निर्माण, ब्लड कलेक्शन सेंटर व निमार्णाधीन वन्य प्राणियों के बाड़ों के कार्य को पूरा करने के लिये बजट की उपलब्धता पर भी चर्चा की गई।

बैठक में पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल ने चिकित्सकों द्वारा व्हाइट टाइगर सफारी में किए जा रहे उपचार कार्य पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि अगले एक माह तक पूर्ण सतर्कता बरतते हुए वन्य प्राणियों का उच्चतम स्तर से उपचार किया जाये। साथ ही चिकित्सकों द्वारा बताई गई आवश्यक मशीनों की व्यवस्था रीवा वेटरनरी कॉलेज में करने तथा समय-सीमा में समस्त कार्यवाही जैसे अन्य जू सेंटर से व्हाइट टाइगर एवं बंगाल टाइगर के जोड़े लाने हेतु सेंट्रल जू अथॉरिटी की स्वीकृति तथा मुकुंदपुर जू में अधूरे एवं अप्रारंभ बाड़ों को पूर्ण करने हेतु बजट की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए।

श्री शुक्ल ने मुकुंदपुर जू में वन्य प्राणियों के बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन हेतु एक अनुसंधान दल का गठन करने एवं उसके लिए वित्तीय प्रावधान करने के लिए भी निर्देश दिए। बैठक में चर्चा के दौरान डॉ. एबी श्रीवास्तव एवं अन्य चिकित्सकों द्वारा वन्य प्राणियों में फैलने वाली बीमारियों के नियंत्रण हेतु किए जाने वाले उपायों के बारे में सलाह दी गई।