किसानों को तीन हफ्ते में 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान: कमलनाथ
भोपाल | पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने बताया कि आज मध्यप्रदेश का किसान विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। हमारी सरकार की किसान कर्जमाफी योजना बंद होने के बाद से जहां किसानों के ऊपर फिर से बढ़ते कर्ज का बोझ आ गया है, वहीं बेमौसम बारिश और ओला वृष्टि ने खड़ी एवं पकी फसलों को काफी नुकसान पहुँचाया है। भिंड जिले में व्यापारियों द्वारा सरसो की कीमत एक दिन में 1200 रुपए प्रति क्विंटल कम करने की घटना हो या फिर गेहूं की एमएसपी 1975 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित होने के बावजूद किसानों को औसतन 1700 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत मिलने की बात हो, शिवराज सरकार में आज हर जगह किसान ठगा जा रहा है।
सरकार चना, मसूर और सरसों का उपार्जन लगातार टाल रही है, वहीं गेहूं की कम कीमत मिलने से किसानों को पिछले 20 दिनों में ही 116 करोड़ों का नुकसान हुआ है। शिवराज सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में तीन बार ओला वृष्टि से किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी है, जबकि ये सरकार अब तक पहली बार की ओला वृष्टि से किसानों को हुये नुकसान का ही सर्वे तक नहीं करा पाई है। एक तरफ मोदी सरकार अपने तीन काले कानूनों से किसानों को बर्बाद करने की गहरी साजिश रच चुकी है, वहीं मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की अनदेखी से प्रदेश के किसानों को अपनी उपज का न सही मूल्य मिल रहा हैं, न मुआवजा मिल रहा है, न समय पर उपार्जन हो रहा है और न ही अधिकारी किसानों के हित में जारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से करा पा रहे हैं। कई जगह व्यापारी, किसानों की करोड़ों की उपज लेकर चंपत हो चुके हैं, तो प्रदेश के कई जिलों में कृषि उपज मंडी में ताला लगने की तैयारी हो चुकी है।
नाथ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा किसानों के हितों और अधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ी है और इस बार भी हम मध्यप्रदेश के किसानों को शिवराज सरकार के हाथों प्रताड़ित नहीं होने देंगे। हमने किसानों की सभी तरह की समस्याओं के निराकरण के लिये मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक राज्य स्तरीय किसान कॉल सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है।
हेल्प लाइन नंबर किए जारी
प्रदेश के किसान भाई इस कॉल सेंटर में फोन करकर अपनी समस्या हमें बता सकते हैं, समस्या दर्ज करा सकते है। हम किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार से बात करेंगे और किसानों को उनका हक और अधिकार दिलाने की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ेंगे।भोपाल में यह किसान कॉल सेंटर एक अप्रैल से प्रारंभ होकर प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक फोन नंबर 0755-4248166 पर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए उनकी शिकायतें दर्ज करने का कार्य करेगा। इस कॉल सेंटर की समय-समय पर निगरानी मैं स्वयं भी करुंगा हम किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए गंभीरता पूर्वक प्रयास कर प्रदेश के किसानों की खुशहाली सुनिश्चित करने का सार्थक प्रयास करेंगे।
मप्र में बच्च्यिां इतनी असुरक्षित क्यों है?
प्रदेश कांग्रेस ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़ों को उधृत करते हुए सरकार से पूछा है बेटी बचाओ का नारा देने वाले बतायें कि पूरे देश के मुकाबले मप्र में बच्चियां और महिलाएं इतनी असुरक्षित क्यों हैं? प्रदेश में अपराधियों की खैर नहीं का दावा करने वाले मुख्यमंत्री बताएं कि महिला अपराधों में रोकथाम तो दूर तेजी से बढोत्तरी क्यों हो रही है? प्रवक्ता रवि सक्सेना ने कहा मप्र पुलिस रिकॉर्ड के आंकड़े यह भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं कि साल 2020 में प्रतिदिन 137 महिलाओं के साथ कोई ना कोई अपराध हुआ है, अलग-अलग संगेये अपराधों के 49,823 मामले दर्ज किए गए। कोविड के दौरान लॉकडाउन में भी प्रदेश में महिला अपराधों में कमी नहीं आई। तमाम थोथे दावों और प्रयासों की घोषणाओं के बावजूद भी यह कलंक मध्यप्रदेश के माथे पर स्थायी रूप से विधमान क्यों है?
मप्र पुलिस द्वारा हर माह जारी होने वाली रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जिसमें भाजपा शासन के पिछले 12 महीनों में चार हजार से ज्यादा दुष्कर्म और 6 हजार अपहरण के मामले सामने आये हैं। मप्र में औसतन 14 दुष्कर्म के मामले रोज घटित हो रहे है। मप्र अपराधों का गढ़ और अपराधियों का स्वर्ग बन गया है। सक्सेना ने तंज कसते हुए कहा कि लगता है प्रदेश के गृहमंत्री को अपने सजने संवरने के अलावा अपराधियों पर ठोस कार्यवाही कर अंकुश लगाने से कोई वास्ता नहीं है !
रवि सक्सेना ने कहा प्रदेश की बच्चियां और मातृ शक्ति जानना चाहती है कि सुख और शांति के टापू मप्र में आखिर बद से बदत्तर होती इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है? पुलिस प्रशासन या फिर प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था एक तरफ प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भांजियों और बहनों को सुरक्षा के वायदे करते नहीं अघाते हैं किंतु स्थिति इसके सर्वथा विपरीत है। मध्यप्रदेश में पिछले 2 महीने में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की वारदातों में तेजी से वृद्धि हुयी है और पुलिस प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़ बना हुआ है। मध्यप्रदेश में पिछले 8 महीनों में महिला अपराध के हजारों मामले दर्ज किए गए हैं।