बार-बार चुनाव के चलते वोट कटने के डर से प्रभावित होते हैं फैसले

बार-बार चुनाव के चलते वोट कटने के डर से प्रभावित होते हैं फैसले
एक देश, एक चुनाव कार्यक्रम में बोले केंद्रीय मंत्री शिवराज
भोपाल। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कई बार चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान कड़े और बड़े फैसले सरकारों को लेने होते है। चुनाव के डर से कई फैसले नहीं हो पाते इसके पीछे वोट बिगड़ जाने या नुकसान होने का भय होता है। ऐसे कई फैसले प्रभावित भी होते हैं, जो बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकते हैं या फिर प्रदेश का विकास कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज राजधानी के एक निजी कॉलेज में एक देश एक चुनाव के संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अपने देश में और कुछ हो या न हो लेकिन सारे राजनीतिक दल पांचों साल, 12 महीने, हर सप्ताह, 24 घंटे एक ही तैयारी करते हैं वो है अगला चुनाव। उसी तैयारी में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई बडे़ और कड़े फैसले लिए हैं।, लेकिन, कई बार चुनाव के डर में ऐसे फैसले नहीं हो पाते कि वोट बिगड़ गया और नुकसान हो जाएगा। इसके लिए पहले तो वोट बचाओ। ऐसे कई फैसले प्रभावित होते है जो बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकते हैं प्रदेश का विकास कर सकते हैं। एक राज्य में चुनाव हुआ नहीं कि दूसरे राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल उलझे रहते हैं। हाल ही में दिल्ली में चुनाव हुए, अब बिहार के चुनाव की चिंता सताने लगी। ये हमेशा होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में कितने बाधक हैं।
धन का अपव्यय होता है, सरकारें लंबी प्लानिंग नहीं करतीं
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अलग-अलग चुनाव क्यों होने चाहिए? हर चार-छह महीने में चुनाव हो रहे हैं। गवर्नेंस प्रभावित होती है। धन का अपव्यय होता है। असल में तो औपचारिक खर्चा दिखता है, पीछे से और कितना खर्चा होता है। चुनाव आयोग ने इस चुनाव में गाडियों से पैसे पकड़े थे। अकेले पैसा नहीं कई और चीजें पकड़ी जाती हैं। एक तरफ धन का अपव्यय होता है दूसरी तरफ सरकारें लॉन्ग टर्म प्लानिंग नहीं करतीं। एक बार चुनाव कराने में साढ़े चार लाख करोड़ का खर्च आता है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर यह खर्च हो तो कितना फायदा होगा।
एक देश, एक चुनाव जन आंदोलन बनना चाहिए
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव’ एक जन आंदोलन बनना चाहिए। मेरे बेटा-बेटियों, आप भी आगे आइए, एक देष-एक चुनाव के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद कीजिए। उन्होंने कहा कि 1967 तक देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुआ करते थे, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्यों में दूसरे दलों की सरकार बनने पर अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर विधानसभाएं भंग कीं, तब से एक साथ चुनाव बंद हो गए।   आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई, उस समिति ने जो विचार-विमर्श किए उसमें 87 प्रतिशत लोगों ने कहा कि एक साथ चुनाव होने चाहिए।