दिव्य विचार: क्या सारी सम्पत्ति साथ ले जा सकते हो? - मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कुछ लोग बोल रहे भावना, कुछ लोग बोल रहे मजबूरी। जिनकी भावना है तो अच्छी बात है। जो लोग भावना बोल रहे हैं मैं उनसे पूछता हूँ अगर ऐसी कोई व्यवस्था हो कि सारी सम्पत्ति अपने साथ लेकर जा सको तो क्या करोगे? अपने बेटे को दोगे या खुद लेकर जाओगे? क्या हो गया? अगर ऐसा कोई सिस्टम (व्यवस्था) हो कि अपने साथ लेकर जाया जा सकता है तो एक आदमी भी अपने बच्चों को नहीं देगा, सब लेकर जाएँगे, जाएँगे कि नहीं जाएँगे? सब लेकर जाएँगे कि चलो परलोक में काम में आएगा। आप सबने अभी सहमति दी कि हम सारी सम्पत्ति अपने साथ ले जाते तो पक्का बताओ अगर ले जाने की व्यवस्था हो तो आप लेकर जाओगे कि नहीं? हाथ उठाओ, नहीं लेकर जाओगे यहीं छोड़ जाओगे। गजब ! तो छोड़ो फिर, अभी छोड़ दो, फिर आगे की बात क्या करना। आज आप लोगों को मजा नहीं आ रहा होगा। एक लड़के ने एक दिन कहा महाराज ! आपके सारे प्रवचनों में मजा आता है लेकिन जिस दिन आप पैसे पर प्रवचन करते हैं न तो तकलीफ होती है, छुड़वा न दें, ये हजम नहीं होता। मैं आपसे पूछ रहा हूँ कि ऐसी कोई व्यवस्था हो कि तुम्हारे द्वारा जोड़ी गई सारी सम्पत्ति तुम ले जा सकते हो तो ये बताओ कौन-2 है जो अपनी सम्पत्ति को अपने साथ ले जाने के लिए तैयार है? हाथ उठाओ। कल्पना करो अभी थोड़ी देर के लिए मैं प्रावधान बनाता हूँ। अगर ऐसा प्रावधान हो तो हाथ उठाओ कौन-कौन लेकर जाएँगे? अपना हाथ उठाओ। बंधुओं में आपको अपनी सम्पत्ति अपने साथ ले जाने की व्यवस्था देता हूँ, ले जाना चाहते हो? बहुत समझदार हो कोई हाथ नहीं उठा रहा है। आप अपनी सम्पत्ति को अपने साथ ले जा सकते हो। बताओ भारत की करैन्सी (मुद्रा) अमेरिका में काम में आती है क्या?