जैविक संसाधनों का लाभ संग्राहकों को मिले, वनोपज बने आय का जरिया: डीएफओ

सतना | जैविक संसाधनों का लाभ संग्राहकों को मिले यह मेरी पहली प्राथमिकता है, गांव के लोग ही वन सम्पदाओं का लाभ उठाएं, इस बात के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। यह बात जिले के वन मंडलाधिकारी राजेश राय ने कही। श्री राय गुरुवार को बतौर गेस्ट ‘स्टार समाचार’ पहुंचे जहां उन्होने संपादकीय सहयोगियों के साथ बेबाकी से अपनी बातें साझा की। विभाग में नवाचार के लिए पहचाने जाने वाले डीएफओ राजेश राय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी नया काम तभी अपनी सफलता पा सकता है जब उसके लिए सामूहिक रूप से प्रयास किए जाएं। बिना टीम के सहयोग और सहमति के कार्य की सफलता संभव नहीं है। जब तक सहमति न हो तो कार्य अपनी सफलता नहीं पा सकता। सहयोगियों से जबरन कार्य कराया जा सकता है लेकिन उसकी सफलता की गारंटी नहीं रहती। जबकि सोच के साथ -साथ सभी की सहमति जरूरी है। 

उज्जवला से हुआ वन विभाग को फायदा 
केन्द्र सरकार की उज्जवला योजना की प्रशंसा करते हुए डीएफओ राजेश राय ने कहा कि इस योजना से किसे क्या फायदा हुआ यह तो नहीं कह सकता लेकिन इस योजना से वन विभाग को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। उज्जवला योजना जब से शुरू हुई तब से लकड़ी की खपत कम हुई जिस वजह से वनों की कटाई भी कम हो गई है। आदिवासियों को जागरुक किया जाएगा आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सामान के बदले सामान देने की प्रवृत्ति आज भी जारी है और इसी वजह से इनका शोषण होता है। सरकार द्वारा 32 वनोपज का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। हमारा प्रयास है कि वन समितियों के माध्यम से आदिवासियों को जागरुक किया जाए। 

तकनीक से वन्य प्राणी हो रहे सुरक्षित
मप्र को टाइगर स्टेट का रूतबा हासिल है। इसका एक बड़ा कारण वन्य प्राणियों की सुरक्षा में तकनीक का उपयोग है। विभाग अब जंगल में ट्रैप कैमरे लगाकर उनके  मूवमेंट में नजर रखता है और आवश्यकता पड़ने पर वैसा ही कदम उठाता है। यही कारण है चाहे वह सतना जिले का जंगल हो या पन्ना , बांधवगढ़, संजय गांधी , पेंच, कान्हा जैसे नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी है। संख्या बढ़ने से इसके बीच टेरीटोरियल फाइट भी बढ़ी है। दरअसल बाघ और तेंदुए जैसे वन्य प्राणी अपनी टेरीटरी में दूसरे बाघ या तेंदुए की मौजूदगी पसंद नहीं करते। यही कारण है कि इनके बीच झगड़े होते हैं और इसी झगड़े में मौत का शिकार हो जाते हैं। 

पौधे लगाएं नहीं तो जो पेड़ हैं उन्हीं की रक्षा करें 
जिलेवासियों को वनों की सुरक्षा से संबंधित संदेश देते हुए जिला वन मंडलाधिकारी राजेश राय ने कहा कि हमें वन सम्पदा का उतना ही उपयोग करना चाहिए जितनी हमारी जरूरत हो। वन सम्पदा का ऐसा उपयोग न हो कि पूरी वन सम्पदा ही समाप्त हो जाए। उन्होंने वनों की सुरक्षा और संरक्षण में सभी के सहभागी बनने की अपील करते हुए कहा कि यदि हम नए पौधे लगा नहीं सकते तो कम से कम इस बात का प्रयास होना चाहिए कि जो पेड़ लगे हैं वे सब सुरक्षित रहे आएं। 

यह भी कहा 

  • कभी भी इतना विलंब नहीं होता कि हम नई शुरुआत न कर सकें 
  • वन सम्पदाओं का समाज हित में दोहन होना चाहिए 
  • लोगों की जागरुकता से हमें फायदा होता है 
  • सतना के लोग जागरुक, बेबाक  और अधिकारों के प्रति संवेदनशील हैं
  • सतना विविधताओं से भरा जिला है, जिले में मैहर में मां शारदा व चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के दो धार्मिक स्थल हैं।

35 करोड़ का महुए का व्यापार
जिला वन मंडलाधिकारी राजेश राय ने कहा कि जिले में कई ऐसी वन सम्पदाएं हैं, इन सभी सम्पदाओं का सही ढंग से उपयोग होने पर ये विभाग, वन समितियों व स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए अकेले मझगवां में ही दस हजार टन का करीब 35 करोड़ रुपए का महुए का व्यापार का अनुमान है, इसके अलावा चार, चिरौंजी, बेलगूदा, बेल खोपरा जैसे अन्य वनोपज भी हैं जो आय का जरिया बन सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि वनोपज बिक्री के लिए पंजीयन करा न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाए। कटनी में हम ऐसा कर चुके हैं, जहां महज 3 माह के प्रयास में 492 ग्रामीणों का पंजीयन किया गया और 15 करोड़ 54 लाख का राजस्व एकत्र हुआ। वनोपज से समृद्ध सतना में ज्यादा संभावनाएं हैं।