पूर्व मंत्री का दावा: मेरे सुझाव मानते तो नहीं होती बाघों की मौत
रीवा | महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव टाइगर सफारी में हो रही बाघों की मौत को पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने घोर चिंता व्यक्त करते हुए दावा किया है कि जू प्रबंधन उनके सुझाव पर अमल करता तो बाघों की इस तरह मौत नहीं होती। सोमवार को उन्होंने प्रेस-वार्ता का आयोजन कर यह कहा कि उनके द्वारा कुछ सुझाव डायरेक्टर मुकुंदपुर को दिए गए थे, जिसे वह दरकिनार कर गया है। उन्होंने बताया कि व्हाइट टाइगर सफारी को तत्कालीन मंत्री एवं विधायक राजेन्द्र शुक्ल ने बहुत ही परिश्रम से बनवाया था।
जिसमें मेरे भी विचार लिए गए थे। विगत कुछ महीनों से वहां पर जिस तरह से बाघों की मौत हो रही है उससे विश्व व्यापी पर्यावरण के जगत से संबंधित लोगों में घोर चिंता फैल गई है। यहां तक कि जो लोग सफेद व पीला बाघ से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं वह भी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा जू संचालन के लिए जो सुझाव दिए थे उनमें बाघों का विशेषज्ञ वेटरनरी डॉक्टर जू में सारे उपकरणों सहित उपस्थित रहे। बाड़े में घास और मिट्टी का परीक्षण समय-समय पर होता रहे तथा कोविड-19 के समय बाघ को दिया जाने वाला मांस का परीक्षण भी आवश्यक है।
नए बाघ को प्राप्त करने पर पूरे विधि विधान से परीक्षण आने के समय लाया जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि मुझे 13 वर्ष मध्यप्रदेश वाइल्ड लाइफ बोर्ड में एवं सात वर्ष भारतीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड में सेवा करने का सौभाग्य मिला है। परंतु मेरे सुझावों को दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि विगत 15 वर्षाें से मेरी सेवाओं की आवश्यकता प्रदेश को उचित नहीं लगी। परंतु वन एवं वन्य जीवों के प्रति विशेष रूप से सफेद एवं पीले बाघों में मेरी प्रतिबद्धता अटल है।