रेल अफसरों के बंगले चकाचक, छोटे कर्मचारियों के आवास जर्जर
सतना | रेलवे अपने ही कर्मचारियों को बेहतर सुविधा नहीं दे पा रहा है ये हम नहीं, सतना रेलवे कालोनी की तस्वीर ही खुद बयां कर रही है। विभाग में काम करने वाले निचले स्तर के कर्मचारियों को आवंटित सरकारी आवास खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। कई दशक पहले बनाई गई रेलवे कॉलोनियों में मकानों की हालत इतनी खराब हो गई है कि यहां रहना कर्मचारियों को मुश्किल हो रहा है, कहीं दरवाजे टूट गए हैं, तो कहीं खिड़कियां सड़ चुकी हैं।
दीवारों में सीलन है, तो कहीं पाइप लाइन लीकेज होने से गंदा पानी पीने को मिल रहा है। तनाव और थकावट भरी ड्यूटी करने के बाद घर लौटने पर भी रेलकर्मी और उनका परिवार जर्जर मकानों के कारण सुकून से नहीं रह पाता है। बताया जाता है कि सतना रेलवे कालोनी मे लगभग साढ़े सात सौ रेलवे आवास हैं। पिछले एक साल से 6-6 माह में होने वाली क्वाटर्स कमेटी की मीटिंग तक नहीं हुई है।
दोयम दर्जे का व्यवहार झेल रहे रेलकर्मी
दबी जुबान में कर्मचारी कहते हैं कि रेलवे के आला-अफसरों को आवंटित बंगले उसी दौर में बने हैं, लेकिन हर साल इनकी रंगाई-पुताई और मरम्मत की जाती है, लेकिन हम लोगों की शिकायत के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है। बाजार में मकानों का किराया इतना ज्यादा है कि मजबूरी में सस्ते रेल आवासों में रहना पड़ता है। कार्यस्थल पास होने के कारण भी रेल कर्मियों को ड्यूटी में आसानी होती है। अफसर एक फोन करते हैं तो उनके टूटे नल से लेकर फर्श में टाइल्स तक लग जाते हैं, लेकिन हमारी बारी आती है तो बजट का रोना रहता है। जितना पैसा मरम्मत पर खर्च होता है, इतने में तो नई रेलवे कॉलोनी तैयार हो जाती लेकिन मरम्मत के नाम पर ही कई अफसर चांदी काटते हैं।
छोटे पड़ते हैं कमरे
कर्मचारियों ने बताया कि पुराने दौर में बने रेल आवासों में कमरे, किचन और बरामदा बहुत संकरा है। रेलकर्मी का संयुक्त परिवार यहां सहूलियत से नहीं रह सकता, किसी तरह रेलकर्मी गुजारा कर रहे हैं। बारिश में छत टपकती है, तो दीवारों में सीलन बनी रहती है। टॉयलेट के दरवाजे टूट गए हैं। पीछे सीवेज लाइन से होकर पानी के पाइप आए हुए हैं, लाइन लीकेज होती है तो कॉलोनियों में गंदा पानी मिलता है। गर्मियों में प्रेशर कम होने से पानी का हाहाकार मच जाता है।
नए कर्मचारियों को आवास नहीं
खंडहर होने के कारण विभाग ने कुछ रेल आवास तोड़ दिए। कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन नए आवास नहीं बनने से अलग-अलग विभागों में सैकड़ों रेल कर्मियों को मकान देने की प्रतीक्षा सूची चल रही है। पुरानी कॉलोनियों में नए मल्टीस्टोरी आवास बनाने की योजना थी लेकिन इसे भी रेलवे ने मंजूरी नहीं दी। दर्जनों रेल आवासों में जीआरपी कर्मियों और असामाजिक तत्वों का कब्जा है, मकान खाली कराने को लेकर रेलवे ने अधिकारियों से पत्राचार भी किया था।
आईओडब्लू के पास स्टाफ नहीं
रेलवे अधिकारियों के अनुसार एक समय आईओडब्लू विभाग के पास लगभग 3-4 सौ कर्मचारियों का स्टॉफ रहता था लेकिल अब स्टफ बहोत कम ही बचा है। वर्तमान समय मे लगभग 47 कर्मचारियों का स्टॉफ है। जिसमे 25 कर्मचारी पानी सप्लाई मे लगते है। कुछ समय पहले यह व्यवस्था ठेकेपर थी। अधिकारियों के अनुसार ऐसे मे क म कर्मचारियों से क्वाटर्स व स्टेशन मेन्टीनेंस करवाना कठिन कार्य है।