नेफ्ट पर रोक से हलाकान सहकारी बैंक के खाताधारक
रीवा | जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के महाप्रबंधक का एक फरमान खाताधारकों पर भारी पड़ रहा है। फरवरी महीने में महाप्रबंधक आरएस भदौरिया ने नेफ्ट और आरटीजीएस ट्रांजेक्शन पर नाबार्ड का हवाला देकर रोक लगा दिया था। यही प्रतिबंध ऐसे फिक्स डिपॉजिटकर्ताओं पर भारी पड़ रहा है जिन्हें इस वक्त बेटी के विवाह अथवा अन्य जरूरी काम के सिलसिले में पैसे की दरकार है। ऐसे उपभोक्ताओं को दस-बीस हजार रुपए देकर शाखा प्रबंधक चक्कर कटवा रहे हैं।
खास बात यह है कि जिनकी बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों से सांठगांठ है उन्हें अब भी करीब 50 हजार रुपए तक का भुगतान कर दिया जाता है। इस संबंध में जिले के विभिन्न कस्बों में स्थापित सहकारी केन्द्रीय बैंक के खाताधारकों के हवाले से बताया गया है कि अपने ही पैसे के लिए लोगों को बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं और उन्हें मीलों सफर करने के बाद भी कुछ हजार रुपए देकर अगले दिन के लिए बुलाया जाता है।
जबकि उनके घरों में शादी अथवा अन्य बड़े कार्य हैं जिनके लिए जमा की गई पूंजी की निकासी जरूरी है। उल्लेखनीय बात यह है कि जिले में मुख्यालय के अलावा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की 17 शाखाएं हैं जिनमें कृषकों के अलावा ब्याज अधिक होने के चलते आम और खास लोगों के भी लाखों रुपए फिक्स डिपॉजिट हैं। कोई बेटी की शादी के लिए पैसे फिक्स कर रखे थे तो कोई मकान या अन्य जरूरी काम करने के लिए पैसे बचाए थे। अब यही पैसे महाप्रबंधक के एक फरमान की वजह से नहीं मिल पा रहे हैं।
3 फरवरी का पत्र बना रोड़ा
इस साल 3 फरवरी को महाप्रबंधक आरएस भदौरिया ने समस्त शाखा प्रबंधकों को एक पत्र जारी कर नेफ्ट और आरटीजीएस के ट्रांजेक्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दिया था। रोक के पीछे नाबार्ड की टीम द्वारा बैंकिंग नियमों के उल्लंघन संबंधी आपत्ति को बताया गया था। जिसमें कहा गया था कि समिति कर्मचारियों और शाखा प्रबंधक बैंक फण्ड का दुरुपयोग कर रहे हैं। दरअसल यह गड़बड़ी धान खरीदी की राशि की एकमुश्त निकासी को लेकर सामने आई थी। तब से यह आदेश निरस्त नहीं किया गया, जिसका खामियाजा बैंक के डिपॉजिटकर्ता और खाताधारक भुगत रहे हैं।
नहीं पकड़े गए दोषी
समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन की राशि एकमुश्त निकासी करने और स्वयं के खाते में पैसे डालकर आहरित करने का खेल करने वाले जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के एक भी दोषी नहीं पकड़े गए। जबकि उक्त पत्र में महाप्रबंधक श्री भदौरिया ने स्पष्ट उल्लेख कर तीन दिवस में एनईएफटी और आरटीजीएस से भेजी गई लाखों रुपए राशि की जानकारी विभिन्न शाखा प्रबंधकों से तलब की थी। साथ ही जिन खातों में राशि गई है उनका ब्योरा मांगा गया था। किसानों के नाम पर व्यापारियों और सहकारी समिति के कर्मचारियों के इस खेल में शामिल एक भी बैंक कर्मचारी अथवा अधिकारी पकड़ में अभी तक नहीं आए हैं। ऐसे में उपरोक्त आदेश महज एक मजाक बनकर रह गया है। इसके कारण जिले में मुख्यालय से लेकर अन्य 17 शाखाओं के गैर कृषक खाताधारक अपने पैसे को लेकर परेशान हो रहे हैं।