सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन का स्टॉक निल
रीवा | कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन का स्टॉक समाप्त हो गया है। ऐसे में वह मरीज निजी दुकानों से इंजेक्शन खरीदकर उपचार करा रहे हैं। ताज्जुब की बात यह है कि विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी में भी एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। ऐसे में जरूरतमंद मरीज भटक रहे हैं।
गौरतलब है कि शहर से लेकर जिले भर में इस समय आवारा कुत्तों का आंतक बढ़ा हुआ है। यही वजह है कि मरीजों की ंसख्या में भी इजाफा हुआ है। बताया गया है कि एंटी रेबीज इंजेक्शन का पुराना स्टॉक समाप्त हो गया है जबकि नए स्टॉक के लिए अभी आॅर्डर किया गया है तो अभी तक अस्पतालों में नहीं पहुंच पाया है।
लापरवाह बना नगर निगम
शहर में आवारा कुत्तों की जनसंख्या काफी हो गई है। रात के सूनसान समय में यह राहगीरों पर भी हमला कर रहे हैं। वहीं आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या के प्रति निगम प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। यहां पर यह बता दें कि आवारा कुत्तों से लोगों की सुरक्षा के लिए निगम प्रशासन को इनकी धरपकड़ कर इंजेक्शन लगाना चाहिए ताकि किसी व्यक्ति को काटने के बाद जहर का असर न रह जाए। परंतु यह जानते हुए भी निगम के अधिकारी पूरी तरह से लापरवाही बरत रहे हैं। कुछ समय पूर्व आवारा कुत्तों की रोकथाम के लिए अभियान चलाया गया था जो ठण्डे बस्ते में कैद होकर रह गया। लगातार कुत्ते काटने से त्रस्त मरीज अस्पतालों तक आते हैं लेकिन उनको एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं मिल पाता है। ऐसे में वह निजी दुकानों से इंजेक्शन खरीदकर अपनी जान बचा रहे हैं।
संजय गांधी अस्पताल एवं कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में कुत्ता काटने के मरीज प्रतिदिन एक सैकड़ा से ज्यादा आते हैं जिन्हें एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। बरसात के दिनों में कुत्तों के काटने से उसका जहर अन्य मौसम की अपेक्षा तीन गुना बढ़ जाता है। इस आशंका में जरूरतमंद मरीज इंजेक्शन लगवाने में कोई भी कोताही नहीं बरतते और समाप्त हो चुके स्टॉक के बाद भी वह निजी दुकानों से एंटी रेबीज इंजेक्शन खरीदकर लगवाने को मजबूर हैं।
बताया गया है कि एक मरीज को संक्रमण से बचाने के लिए छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं। एक इंजेक्शन की कीमत चार सौ रुपया बताई गई गई। ऐसे में जरूरतमंद मरीजों को काफी असुविधाएं हो रही हैं। कई ऐसे भी मरीज देखे गए हैं जो सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन न मिलने से घरेलू इलाज एवं झाड़फूंक करवाते हैं। बाद में यह स्थिति हो जाती है कि वह जहर उनके जीवन पर काली छाया ला देता है।