संक्रमण के बीच आज से रमजान माह की शुरूआत, घरों में ही होगी तरावीह, सेहरी भी

सतना | रमजान का महीना एक बार फिर कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच पड़ रहा है।  ऐसे में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए रमजान के पाक पर्व को मनाने का संकल्प लिया है। रमजान माह शुरू होने में चंद घंटे ही बचे हैं चांद निकलने पर कल या फिर परसों से रोजा रखने का क्रम शुरू हो जाएगा। अल्लाह की इबादत करने के इस माह में पहले रोजा 1416 घंटे लंबा और सबसे आखिरी रोजा 15 घंटे का होगा।  

रमजान माह का इंतजार अब खत्म होने वाला और रोजा रखने वाले पूरी तैयारी कर चुके हैं। रमजान माह शुरू होते ही मुस्लिम पूरे महीने रोजे रखेंगे। इस वर्ष गर्मी में लगभग 15 घंटे लंबा पहला रोजा मुस्लिमों का इम्तिहान लेगा। रमजान के दिन बीतते जाएंगे, रोजे का समय भी बढ़ता जाएगा। रमजान का पहला रोजा 14:16 घंटे लंबा होगा, जबिक सबसे आखिरी रोजा 15 घंटे का होगा। रमजान की जंत्री के मुताबिक पहले रोजे की सहरी खत्म होने का समय सुबह 4:19 बजे तथा इफ्तार का समय शाम 6:35 बजे हैं। आखिरी रोजे की सहरी खत्म होने का समय सुबह 3:49 बजे तथा इफ्तार का समय शाम 6:49 बजे है।

ये है सहरी व इफ्तार
रमजान में सुबह सूर्य निकलने से पहले तक खाने-पीने को सहरी कहते हैं। सहरी का समय खत्म होने के बाद कुछ भी खाया-पिया नहीं जा सकता। शाम को सूर्य डूबने पर रोजा खोला जाता है, इसे इफ्तार कहते हैं। इफ्तार से सहरी तक खाने-पीने की छूट रहती है।

तो घरों में ही होगी तरावीह
पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण काल की वजह से लॉकडाउन में मस्जिदें भी बंद कर दी गई थी। सार्वजनिक स्थलों पर तरावीह की नमाज भी अदा नहीं की गई थी। घरों में ही सहरी व इफ्तार हुआ था। लॉकडाउन में मुस्लिमों ने घरों पर ही इबादत की थी। इस साल कोविड संक्रमण गत वर्ष की तुलना में और अधिक तेजी से पांव पसार रहा है। ऐसे में इस साल भी घरों में ही सेहरी व तवारीह की आशंका है। 

पांच स्तंभों में से एक 
रमजान इस्लाम के पांच स्तंभों में से मुसलमानों के लिए एक है। मुस्लिम धर्मावलंबी इस मौके पर पूरा महीना सुबह से शाम तक उपवास करते हैं। इफ्तार के बाद खास तरह की नमाज तरावीह अदा की जाती है।  पूरे महीने मस्जिदों और घरों पर कुरआन को सुनने और सुनाने का सिलसिला चलता है। आखिरी पैगंबर पर कुरआन इसी महीने में उतरना शुरू हुआ था। मुसलमानों के लिए इस लिहाज से महीने का महत्व और भी बढ़ जाता है।  रमजान में गरीबों को दान-पुण्य करने और रोजेदारों को इफ्तार कराने का विशेष महत्व है।