कोरोना प्रभावित शहरों से रोजाना आ रहे दो से ढाई हजार लोग
सतना | कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर प्रशासन द्वारा जिले भर में जितनी संजीदगी दिखाई जा रही है। बस स्टैंड में बाहर से आने वाले यात्रियों को लेकर उतनी ही लापरवाही बरती जा रही है। बस स्टैंड सतना में रोजाना करीब 10 से 12 हजार लोगों की आवाजाही होती है। इनमें से दो से ढाई हजार ऐसे लोग हैं जो उन शहरों से आ रहे हैं जहां कोरोना अपने विकराल रूप में है। फिर भी इन शहरों से आ रहे यात्रियों की किसी भी प्रकार की कोई न तो जांच हो रही है और न ही यात्रियों की निगरानी की जा रही है।
सतना में भी प्रदेश के अन्य शहरों की तरह पिछले कुछ दिनों से कोरोना मरीजों के संख्या में जबरजस्त इजाफा हुआ है। बताया जाता है कि कोरोना के बढ़ते आंकड़ोंं के पीछे की बड़ी वजह बाहर से आने वाले यात्री हैं। इन दिनों बड़ी संख्या में लोग प्रदेश की राजधानी भोपाल और मिनी मुम्बई कहे जाने वाले वाले इंदौर से सतना आ रहे हैं।
मुम्बई से आने वाले लोगों की रेलवे स्टेशन पर थोड़ी बहुत जांच पड़ताल तो हो भी जाती है लेकिन भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं गवालियर से सतना आने वाले लोगों की किसी भी प्रकार की कोई जांच बस स्टैण्ड में नहीं हो रही है। इन स्थानों से आने वाले यात्री सीधे बसों से उतरने के बाद अपने -अपने गंतव्य को चले जाते हैं और सामान्य जीवन में व्यस्त हो जाते हैं,जबकि भोपाल और इंदौर जैसे शहरों से आने वाले लोगों को होमआइसुलेट रहना अनिवार्य किया गया है।
ऐसे लोग न तो स्वयं कोई अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैें और न ही प्रशासनिक महकमा इस ओर कोई ध्यान दे रहा है। गौरतलब है कि सतना बस स्टैंड से एक अनुमान के मुताबिक यूपी और सूरत के लिए जहां रोजाना 13 बसों का आना- जाना होता है तो इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के लिए 33 बसों का कम से कम। इनमें दो से ढाई हजार के करीब रोजाना यात्री ऐसे शहरोें से आ रहे हैं जहां कोरोना भयावह रूप ले चुका है।
कहां के लिए कितनी बसें
- 22 सतना से होकर इंदौर आती- जाती हैं (इलाहाबाद, रीवा व सीधी से आती हैं)
- 10 बसों का अकेले सतना से भोपाल आना- जाना होता है
- 08 बसों का सतना से ग्वालियर आना- जाना
- 03 बसें सतना से जबलपुर
- 10 बसें सतना से यूपी
- 03 बसें सतना से सूरत आती-जाती हैं
न जांच, न मास्क
बाहर से सतना आ रहे यात्रियों की बस स्टैंड में किसी भी प्रकार की कोई जांच नहीं हो रही है। जबकि जिन शहरों से इन दिनों सबसे ज्यादा यात्री आ रहे हैं, वहां कोरोना मरीजों की संख्या काफी बढ़ी हुई है। ऐसे में बगैर जांच आ-जा रहे लोगों के प्रति प्रशासनिक लापरवाही आने वाले समय में काफी भारी पड़ सकती है। वैसे भी कोरोना से बचाव के लिए अभी सबसे कारगर उपाय मास्क को ही माना गया है लेकिन यात्रियों में इसका उपयोग कम ही देखा जा रहा है।
बस स्टैण्ड में भी बाहर से आने वाले यात्रियों पर नजर रखी जा रही है। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों से आने वाली यात्री वाहनों से जो यात्री आ रहें हैं उनकी भी स्क्रीनिंग कराए जाने और ऐसे लोग एक तय सीमा तक होमआईसुलेट रहें इस बात का प्रयास होगा। इसमें बस आॅपरेटरों व यात्रियों सभी का सहयोग जरूरी है।
अजय कटेसरिया, कलेक्टर
कोरोना से प्रभावित शहरों से आ रहे यात्रियों की जांच और उनकी निगरानी की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। हम बस में बैठने वाले यात्रियों से मास्क लगा कर ही बैठने की अपील कर सकते हैं और ऐसा लगातार किया जा रहा है, यहां तक कि मास्क लगाकर ही यात्रा करने की समझाइस दी जा रही है।
कमलेश गौतम, अध्यक्ष बस आॅनर्स एसोसिएशन