जल संकट से निपटने सतना में अपनाया जाएगा टीकमगढ़ मॉडल

सतना | सतना में संभावित जल संकट से निपटने के लिए टीकमगढ मॉडल अपनाया जाएगा। यह मॉडल सूखाग्रस्त टीकमगढ जिले में आज से 13-14 वर्ष पहले अपनाया गया था। उस दौरान टीकमगढ में बहुत कम पैसे में पंप और पाइप से 3 से 5 किलोमीटर की दूरी से पानी गांव में लाकर टंकी के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराया गया था। शनिवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में पेयजल की स्थिति की समीक्षा और जल संकट से निपटने की तैयारी बैठक में कलेक्टर अजय कटेसरिया ने वर्ष 2007-08 में अपनी टीकमगढ़ पदस्थापना के दौरान सूखे की स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप और पंप से पानी पहुंचाकर टंकी से वितरण के अनुभव साझा करते हुए अधिकारियों को पेयजल की उपलब्धता के प्रयासों की एक फिल्म भी दिखाई।

कलेक्टर ने इस दौरान कहा कि गांव में पेयजल की उपलब्धता के प्रयासों में ग्राम पंचायत, सरपंच, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लें। कलेक्टर ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत जिले में शामिल पांच विकासखंडों में बिछाई गई जल निगम की पाइप लाइन का भी उपयोग गांव में जल आपूर्ति के लिए किया जा सकता है।

64 हजार 500 का स्टैंडर्ड एस्टीमेट तैयार 
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सभी पंचायतों के कार्य के लिए 1.6 किलोमीटर तक की दूरी से पंप और पाइप से पानी लाने 64 हजार 500 के स्टैंडर्ड एस्टीमेट बनाए गए हैं, जिसकी तकनीकी स्वीकृति और मूल्यांकन सीसी जारी करने का कार्य ग्रामीण विकास के उपयंत्री करेंगे। 

1.6 किमी से दूर जल स्रोत तो परिवहन की अनुमति 
 टैंकर से परिवहन की अनुमति तभी मिलेगी जब ग्राम में 1.6 किलोमीटर के दायरे में कोई भी पेयजल स्त्रोत नहीं मिलेगा। ऐसी स्थित में जनपद सीईओ की अनुशंसा पर एसडीएम द्वारा पेयजल परिवहन की अनुमति दी जाएगी।

ये भी निर्देश 

  • लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा समय-सीमा में सभी पेयजल अभावग्रस्त ग्राम और बसाहटों में प्राथमिकता से अभियान चलाकर राइजर पाइप डालकर हैंडपंपों की मरम्मत कराएं
  • जल की निर्बाध आपूर्ति के लिए क्रियाशील बोर को चिन्हांकित करें
  • बारह माह पानी वाले जल स्रोतों को चिन्हित किया जाए 

पेयजल के कार्यों में खर्च होगी15वें वित्त की 25 प्रतिशत राशि 
कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा कि आगामी ग्रीष्म काल के दो-तीन महीने में पेयजल को लेकर कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त की राशि का 25 प्रतिशत केवल पेयजल के कार्यों में खर्च करने के निर्देश हैं। यह राशि अन्य मदों में खर्च नहीं की जाए। पेयजल के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में जल अभिषेक, जल शक्ति अभियान के तहत उपयोगी कार्य किए जाएं। पुराने तालाबों की वेस्ट वियर, स्लूस गेट रिपेयर तथा स्टॉप डैम के कड़ी शटर लगाने तथा जल स्त्रोतों के संरक्षण और रख-रखाव के कार्य किए जाएं। 

पंचायतों में कैच द रेन और जल शक्ति अभियान
बैठक के दौरान प्रत्येक ग्राम पंचायत में कैच द रेन और जल शक्ति अभियान दक्षता पूर्वक क्रियान्वित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा मनरेगा के तहत शत-प्रतिशत राशि जल अभिषेक के कार्यों में व्यय की जा सकती है।

ये रहे मौजूद 
इस मौके पर सीईओ जिला पंचायत हरेंद्र नारायण, एसडीएम दिव्यांक सिंह, सुरेश अग्रवाल, संस्कृति शर्मा, धीरेंद्र सिंह, राजेश शाही, केके पाण्डेय, कार्यपालन यंत्री पीएचई रावेंद्र सिंह, आरईएस, जनपद पंचायतों के सीईओ तथा जनपद और ग्रामीण विकास के उपयंत्री उपस्थित थे।