विधायक ने पूछा था कब तक होगा पदांकन, थमा दी गई अपात्रता की जानकारी
सतना | प्रशासनिक काम काज का यह तरीका ही है या फिर राज्य स्कूल शिक्षा मंत्री सिस्टम से हारकर यह कह रहे हैं कि पदोन्नति देने के मामले में समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है? यह सवाल इसलिए क्योंकि विधानसभा में चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी द्वारा सतना जिले के 10 अध्यापकों की साढ़े पांच साल पूर्व हुई काउंसलिंग के बाद भी पदोन्नति न दिए जाने के मामले में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने जवाब दिया है कि इस मामले में कार्रवाई कब तक होगी यह बता पाना संभव नहीं हैं।
दरअसल विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने तारांकित प्रश्न क्रमांक-1228 के जरिए यह जानकारी मांगी कि 26 जुलाई 2019 को तारांकित प्रश्न क्र. 3352 में काउंसलिंग उपरांत 10 अध्यापकों के पदांकन संबंधी जो जानकारी मागी गई थी उसके जवाब में उनकी अपात्रता की जानकारी क्यों प्रस्तुत की गई है। चित्रकूट विधायक ने अपात्र किए जाने के कारणों से संबंधित दस्तावेज मांगते हुए पूछा है कि पदांकन आदेश कब तक जारी किया जाएगा तथा विलंब के लिए दोषी अधिकारियों पर कब तक कार्रवाई की जाएगी? इसी सवाल के जवाब में राज्य स्कूल शिक्षा मंत्री ने समय सीमा बता पाने में असमर्थता जताई है।
काउंसलिंग के साढ़े पांच साल बाद भी राज्य सरकार के मंत्री द्वारा समय सीमा बता पाने में असमर्थता जताने पर यह सवाल सहसा ही खड़ा होता है कि क्या जिले के 10 अध्यापकों की पदोन्नति का मामला इतना जटिल है कि तकरीबन साढ़े 5 साल बाद पूरा प्रशासनिक सिस्टम मिलकर उनका मामला नहीं सुलझा जा सकता या फिर अधिकारी अपनी गलतियां छुपाने उनके साथ कागजी खेल खेल रहे हैं?
हालांकि स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधायक के सवाल का जवाब सदन को देते हुए बताया है कि 10 अध्यापकों को विभागीय समिति द्वारा पदोन्नति से वंचित किए जाने के मामले की जांच हेतु कलेक्टर सतना को 25 फरवरी को पत्र लिखा गया है। पदोन्नति कब तक दिए जाने व विलंब के लिए दोषियों को चिन्हित करने का जहां तक सवाल है जांच उपरांत गुण दोष के आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी ।
पांच साल से भटक रहे शिक्षक
जिले के 10 शिक्षक विगत 5 सालों से पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। हैरानी है कि अध्यापक पदोन्नति के लिए उनकी काउंसलिंग 5 साल पूर्व कराई गई लेकिन निसम-कायदों का हवाला देकर उनकी पदोन्नति पर पेंच फसा दी गई। विगत 5 सालों से व्यावस्था से प्रताड़ित शिक्षक मुख्यमंत्री, कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी, सीएम हेल्प लाइन समेत तकरीबन सभी आला अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासनिक गलियारों में उनकी आवाज अब तक नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हुई है।
जिला पंचायत सीईओ के आदेश क्रमांक 31 अक्टूबर 2015 को जारी आदेश क्र. 3614/स्था /जिपं/अध्यापक के आधार पर जिले मे अध्यापक पदोन्नति के लिये 2 नवंबर 2015 को काउंसलिंग कराई गई थी। काउंसलिंग कराने के बाद विभाग शिक्षक कोदूलाल सोनी, गुलाब प्रसाद मिश्रा, नीलेश कुमार पाठक, दुर्गा प्रसाद शुक्ला, विजय कुमार त्रिपाठी, वीरेंद्र कुमार कनौजिया, विनोद कुमार मिश्रा, रमेश कुमार प्रजापति, गोविंद प्रसाद गौतम व ऊषा गर्ग को पदोन्नति देना भूल गया।
जब-जब शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए कलेक्टर, सीईओ, डीईओ के सामने आवेदन प्रस्तुत किया तब-तब अधिकारियों ने नियम-कायदे का हवाला देकर उन्हें चुप करा दिया। कार्यालय दर कार्यालय भटकते हुए शिक्षकों को पांच वर्ष बीत गए हैं लेकिन उन्हें अब तक पदोन्नति नहीं मिल सकी है। इस मामले में व्यथित शिक्षकों की मानें तो उन्हे यह कहकर टरका दिया जाता है कि फिलहाल पदोन्नति पर सरकार ने रोक लगा रखी है लेकिन सवाल यह है कि यदि सरकार ने पदोन्नति में रोक लगा रखी थी तो फिर उनकी काउंसलिंग जिला पंचायत द्वारा कैसे कराई गई और यदि काउंसलिंग दिनांक तक ऐसी कोई रोक नहीं थी तो फिर इन 10 शिक्षकों की पदोन्नति पर कैंची क्यों चला दी गई?