ऑफलाइन बेची, बाद में स्टाक घटाने थोक में दर्ज की खाद

सतना | नवंबर माह में जरूरत से  अधिक यूरिया खरीदने वाले जिले के किसानों व विक्रेताओं की दिल्ली से आई 20 बॉयर की सूची के सत्यापन का काम लगभग पूरा हो गया है। कृषि विभाग सोमवार को जांच प्रतिवेदन भोपाल संचालनालय को भेजने के साथ ही स्थानीय स्तर पर कलेक्टर को सौंप सकता है। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश किसानों ने इतनी मात्रा में यूरिया खरीदने से इंकार किया है तो विक्रेताओं का कहना है कि मशीन से स्टाक घटाने के चक्कर में उनके द्वारा एक ही किसान के नाम कई किसानों को वितरित यूरिया दर्ज कर दी गई थी। अब इनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए इसका निर्णय कलेक्टर को लेना है।

कहीं गड़बड़ी तो कहीं बेवजह फंस गये
पिछले सप्ताह सतना पहुंची 20 बॉयर की सूची का सत्यापन ब्लाक स्तर पर गठित टीमों मे लगभग पूरा कर लिया है। सोमवार को जांच प्रतिवेदन कृषि संचालनालय के साथ स्थानीय स्तर पर कलेक्टर को सौंपा जा सकता है। बताते हैं कि इस सूची में रामपुर बाघेलान की अबेर समिति का नाम पहले स्थान पर था जिसने 29 किसानों को थोक में यूरिया दी है। इस ब्लाक से कोटर समिति से एक किसान का नाम भी शामिल है।  सोहावल ब्लाक में कुआं समिति ने 5 किसानों को तथा मैहर की पकरिया समिति ने एक किसान को अधिक मात्रा में यूरिया दी है।

इस बार 3 किसान मार्कफेड के सिविल लाइन स्थित नगद बिक्री केन्द्र से यूरिया की भारी मात्रा ले जाने में चिन्हित हुए हैं। इनमें टैम्पो चालक उचेहरा के अमदरी निवासी नागेन्द्र सिंह बागरी 89 तो राजेश्वरी द्विवेदी नामक कथित किसान के नाम 81 बोरी यूरिया लेना दर्ज है। एक अन्य किसान पवन गुप्ता को तो 145 बोरी यूरिया दे दी गई है। जांच अधिकारियों का कहना है कि किसानों के बयान सही हैैं। 0 विक्रेताओं की गड़बड़ी यह है कि मशीन न चलने पर वे आफलाइन बिक्री करते रहते हैं और जब मशीन काम करने लगती है तो किसी एक किसान के नाम ही सारी बिक्री की मात्रा दर्ज कर देते हैं। कुछ स्थानों पर महंगी खाद बेचने के चक्कर में भी गड़बड़ियां हुई हैं।

झगड़े की जड़ मंत्रालय का सर्वर
शनिवार को सुबह से ही उर्वरक मंत्रालय का सर्वर बंद था। दोपहर एक बजे के बाद उसने काम करना शुरू तो किया पर बीची-बीच में रुकता भी रहा। इसके चलते सतना ही नहीं देश के हर कोने में पीओएस मशीनें बंद रहीं और किसान खाद के लिये भटकते रहे। बताते हैं कि दुकानों के बाहर जब किसानों की भीड़ लगती है तक यदि मशीन काम करना बंद कर दे तो विक्रेता के सामने सिर्फ दो ही रास्ते होते हैं या तो वे वितरण बंद करके किसानों के कोप का शिकार हों अथवा आफलाइन वितरण जारी रखें और बाद में 20 बायर की जांच का सामना करें।

20 बायर की सूची के सत्यापन का काम ब्लाक स्तर पर पूरा हो चुका है। जैसे ही जिले की सूची बनती है संचालनालय व कलेक्टर को सौंप दिया जाएगा। निर्णय आला अधिकारियों को करना है।
बहोरीलाल कुरील, उप संचालक कृषि