निजी भूमि की खदानें बिना नीलामी के लीज पर मिलेंगी

भोपाल | मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसमें अनुसूची 5 के 31 गौण खनिजों के उत्खन्न पट्टा आवेदन/ई निविदा से आवंटन करने के प्रावधान किए हैं। इसके अंतर्गत निजी भूमि की खदान को सीधे लीज पर दिया जाएगा तथा सरकारी जमीन की खदानों को नीलामी के माध्यम से आवंटित किया जाएगा। संशोधन अनुसार निजी भूमि पर भूमि-स्वामी, सहमति धारक को रायल्टी के अलावा 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि भुगतान की शर्त पर 30 वर्ष की अवधि के लिए आवेदन के आधार पर उत्खन्न पट्टा स्वीकृत करने के प्रावधान किए हैं।

संचालक उत्खन्न पट्टा विभागीय मंत्री के पूर्व अनुमोदन से स्वीकृत कर सकेंगे। शासकीय व निजी भूमि पर 250 हेक्टेयर क्षेत्र पर ई-निविदा के माध्यम से 30 वर्ष की अवधि के लिए अनुसूची 5 के उत्खन्न पट्टा आवंटन करने के प्रावधान किए। उच्चतम निविदाकार को देय रायल्टी के अलावा स्वीकृत ई-निविदा दर से वन टाइम बिट के आधार पर अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। 

पट्टे का 10-10 वर्ष के लिए दो बार नवीनीकरण होगा
निजी भूमि अथवा ई-निविदा से अनुसूची 5 के स्वीकृत उत्खन्न पट्टों में 25 करोड़ रुपए तथा उससे अधिक निवेश कर उद्योग स्थापित करने पर उत्खन्न पट्टे का 10-10 वर्ष के लिए दो बार नवीनीकरण किया जा सकेगा। अनुसूची 1 और 2 के खनिजों के 4 हेक्टेयर तक के क्षेत्र के उत्खन्न पट्टे कलेक्टर द्वारा जिला स्तर पर स्वीकृत किए जा सकेंगे। इसमें 4 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र स्वीकृत करने के अधिकार संचालक को दिए जा रहे हैं।  अनुसूची एक के खनिजों के मामलों में स्वीकृति से पहले संचालक द्वारा विभागीय मंत्री से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा।

अनुसूची एक में पत्थर से निर्मित रेत (यांत्रिक क्रिया द्वारा) को शामिल किया जा रहा है। इससे अब पत्थर से रेत बनाने के उत्खन्न पट्टे भी स्वीकृत हो सकेंगे। गौण खनिज रेत बजरी की रायल्टी दर 125 रुपए प्रति घन मीटर निर्धारित की गई। यह भी प्रावधान किया गया है कि बाहर के राज्यों से परिवहित होकर आने वाले गौण खनिज पर 25 रुपए प्रति घन मीटर की दर से विनियमन शुल्क लिया जाएगा।

फर्शी पत्थर की वार्षिक डेडरेंट की राशि 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर तय
फर्शी पत्थर की वार्षिक डेडरेंट की राशि दो लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के स्थान पर रूपए 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। पट्टाधारी को स्वीकृत खदानों में से 75 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को अनिवार्य रूप से प्रदान करना होगा। सरकारी तालाब, बांध आदि से गाद के साथ निकाली गई रेत का निर्वर्तन मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 एवं राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के तहत किया जाएगा।