धड़ल्ले से बिक रही अमानक दवाइयां, नहीं होती जांच
रीवा | दवा दुकानों की जांच व दवाईयों की सेम्पलिंग में रीवा जीरो पर चल रहा है। कई महीनों से दवा दुकानों की न तो जांच ही की जा रही है और न ही दवाईयों की सेम्पलिंग ही की गई। जिससे दुकानों में डुप्लीकेट व अमानक दवाईयों की बिक्री बढ़ गई है। हद तो यह है कि ड्रग इंस्पेक्टर इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है।
ज्ञात हो कि दवा दुकानों में अमानक, डुप्लीकेट व एक्सपायरी दवाईयां की बिक्री जोरों पर है। इतना ही नहीं नशीली कफ सिरफ भी दुकानों में धड़ल्ले से बिक रही है। इसके खिलाफ आज तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके पीछे वजह ड्रग इंस्पेक्टर की उदासीनता मानी जा रही है। रीवा से पिछले कई महीनों से दवाईयों के सेम्पल जांच के लिए भेजे ही नहीं गए हैं। यही वजह है कि दुकानों में कार्रवाई को लेकर किसी भी तरह का डर दिखाई नहीं दे रहा।
मरीज दवा दुकानों की अनियमितता व पायरेसी दवाईयों की चपेट में आ गए हैं। इतना ही नहीं दवा दुकानदार एक्सपायरी दवाईयों को भी बेंचने से बाज नहीं आ रही। एक्सपायरी व संदेहास्पद दवाईयों के सेम्पल लेकर भोपाल लैब में इनकी जांच के लिए भेजा जाना जरूरी है। अभी तक इस तरह की कोई कार्रवाई किसी भी दवा दुकान के खिलाफ नहीं हो पाई है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सूत्रों की मानें तो इसके पीछे ड्रग इंस्पेक्ट के निजी कर्मचारी कार्रवाई न करने के लिए दुकानदारों से संपर्क साध रहे हैं।
हर छमाही होनी चाहिए जांच
जानकारी के अनुसार दवा दुकानों की एक वर्ष में दो बार जांच की जानी चाहिए। जिससे दुकानों में बिकने वाली अमानक व नकली दवाइंर्यो पर विराम लग सके। लेकिन खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिले में पिछले कई वर्षों से दुकानों की जांच पड़ताल नहीं की गयी है। जिसके चलते धड़ल्ले से नकली दवाईयों को बेचा जा रहा है।
ब्रांडेड के नाम पर बेंच रहे नकली दवाइयां
सूत्रों की माने तो जिला में अब नकली दवाईंयों का काला कारोबार भी फल-फूल रहा है। यहां पर बड़े दुकानदार ब्रांड के नाम पर नकली दवाईयों की बिक्री कर रहे हैं। जिसे भोली-भाली जनता खरीद कर मरीजों को खिला भी रही है। इससे बीमारी ठीक होने के वजाय कई बार और बढ़ जाती है। ऐसे स्थिति में मरीजों की मौत भी हो जाती है।