नगर निगम चुनाव: सतना में अगला मेयर ओबीसी से, दावेदारों में छिड़ेगी जंग
सतना | नगर पालिक निगम के महापौर की कुर्सी एक बार पुन: पिछड़ा वर्ग के हिस्से में आई है। बुधवार को भोपाल में महापौर पद के लिए हुए आरक्षण में सतना में मेयर का पद फिर आरक्षित हो गया है। इस बार महापौर का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। महापौर पद के लिए आरक्षण के साथ सतना में जहां दावेदारी की तैयारियां तेज हो गई हैं, वहीं सामान्य वर्ग के कई ऐसे चेहरों पर मायूसी छा गई है जो महापौर की चुनावी लड़ाई में उतरकर शहर विकास की कमान संभालने का मंसूबा पाले बैठे थे और लंबे अर्से से चुनाव की तैयारियां कर रहे थे।
डा. यादव थे ओबीसी से पहले महापौर
नगर निगम बनने के बाद सतना नगर निगम का महापौर पद दूसरी बार पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। पहली बार जब महापौर पद ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया था तब डा. बीएल यादव महापौर चुने गए थे। शहर का सबसे पहला महापौर बनने का श्रेय राजाराम त्रिपाठी को जाता है। दूसरी बार मेयर पद के लिए सीधे चुनाव हुए किंतु सीट ओबीसी के लिए आरक्षित कर दी गई थी । तब डा. बीएल यादव का मुकाबला कांग्रेस के पिछड़े वर्ग के नेता रहे जगन्नाथ सिंह यादव से हुआ था जिसमें डा. यादव ने बाजी मारी थी। इस प्रकार से शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ यादव ओबीसी लॉबी से सतना नगर निगम के पहले महापौर निर्वाचित हुए थे।
उनके बाद सतना मेयर का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ जिसमें भाजपा की विमला पांडेय निर्वाचित घोषित हुई थी। श्रीमती पांडेय के बाद सतना सीट फिर सामान्य वर्ग के खाते में आई और बसपा से पुष्कर सिंह तोमर विजयी हुए। अगला नम्बर फिर सामान्य महिला वर्ग का ही लगा जिसमे भाजपा की ममता पांडेय ने बड़ी जीत दर्ज कर कांग्रेस व बसपा को रिकार्ड मतों से परास्त किया । अब सतना मेयर का पद एक बार फिर ओबीसी होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल ओबीसी के किस दावेदार पर भरोसा जताकर टिकट देते हैं।
संभावित दावेदार
मेयर पद का आरक्षण होते ही विभिन्न दलों के दावेदारों के नाम चर्चा में आ गए हैं। राज्य व केंद्र में सत्ता पर काबिज भाजपा में स्वाभाविक तौर पर दावेदारों की लंबी सूची है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के घर में पल रही राजनीति की नई पौध भी अब राजनीति के मैदान में जलवा बिखेरने को तैयार है तो कई ऐसे हैं जो वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं और अब सत्ता स्वाद चखने को बेताब हैं। यदि हम अलग अलग राजनीतिक दलों में दावेदारों के नाम देखें तो एक लंबी फेहरिश्त सामने आती है।
भाजपा
विंध्य चेम्बर आॅफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष योगेश ताम्रकार,पूर्व स्पीकर ननि बाला प्रसाद यादव, ननि के पूर्व स्पीकर अनिल जायसवाल, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य लक्ष्मी यादव, भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री विनोद यादव, नीतू सोनी, दयानंद कुशवाहा, प्रदीप ताम्रकार, प्रहलाद कुशवाहा, यूनिस कुरैशी को बड़ा दावेदार माना जा रहा है। सांसद गणेश सिंह के परिवार की नई पौध भी राजनीति के लिए तैयार है ऐसे में उनके परिवार से भी दावेदारी हो सकती है।
बसपा
अच्छेलाल कुशवाहा के अलावा पटवारी से नेता बने रावेंद्र सिंह पटेल इस बार खुद मैदान में उतर सकते हैं। पिछली बार उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाया था। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में अभी कई और दावेदारों के नाम व चेहरे सामने आएंगे।
कांग्रेस
विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा परिवार से दावेदारी करा सकते हैं तो पूर्व राज्य मंत्री सईद अहमद भी ताल ठोंक सकते हैं। कांग्रेस नेता रविन्द्र सिंह सेठी, गेंदलाल पटेल, रश्मि सिंह पटेल, अजीत सिंह पटेल, एकेएस यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर अजय सोनी भी मेयर के टिकट के लिए दावेदार हो सकते हैं।
अन्य
मेयर चुनाव की घोषणा के पूर्व हर साल कुछ व्यवसाइयों के नाम हवा में तैरते हैं लेकिन वे चुनावी रण में उतरने की हिम्मत नहीं दिखा पाते हैं। पूर्व में कमलेश पटेल , राजेश कैला जैसे स्थापित व्श्वसाइयों के नाम महापौर चुनाव के लिए उठते हैं लेकिन चुनावी रण आते-आते इनके कदम पीछे हो जाते हैं।