मुकुंदपुर जू में जन्मी मादा शावक ‘देविका’ की मिली पहली झलक

सतना/रीवा | बिलासपुर के कानन पिंडारी जू से लाई गई एशियाटिक लायन जैस्मिन एवं शिवा की मेटिंग के बाद 10 अक्टूबर को जन्मे तीन शावकों में से दो की मौत हो जाने के बाद एक मादा शावक को प्रबंधन ने बचा लिया है। उस शावक का दीदार पहली बार लोगों ने शनिवार को तब किया जब उसका नामकरण किया गया। अब उसे बाड़े में ‘देविका’ के नाम से जाना जाएगा।

जैस्मिन एवं शिवा से जन्मी मादा शावक देविका की अठखेलियां शनिवार को लोगों के लिए कौतूहल का विषय रही। पहली बार नामकरण के बाद जब लोगों ने उसे देखा तो उसकी चपल चंचलता को लोग देखते ही रह गए। हर कोई उसे पास से छूना चाहा, प्यार करना चाहा परंतु जू प्रबंधन की गाइड लाइन के अनुसार उसे दर्शक दूर से ही देखकर आनंदविभोर होते रहे। नामकरण कार्यक्रम के दौरान अतुल खेड़ा सीसीएफ रीवा, राजीव मिश्रा डीएफओ सतना, संजय राय खेरे जू संचालक एवं दर्जनों कर्मचारी मौजूद रहे। 

105 दिन की हुई देविका
10 अक्टूबर 2019 को जन्मी देविका शनिवार को 105 दिन की हो गई है। मुख्य वन संरक्षक अतुल खेरा,  वन संरक्षक वन मंडल सतना, रीवा एवं जू संचालक संजय रायखेड़े की उपस्थिति में उसका नामकरण संस्कार कराया गया है। अब उसे देविका के नाम से जाना जाएगा। बताया गया है कि टाइगर सफारी के बाड़ा नं. 3 के नाइट हाउस में जन्मे तीन शावकों में से एक नर एवं एक मादा शावक की मौत हो जाने के बाद जू प्रबंधन ने देविका को बचाने का भरपूर प्रयास किया।

इसके लिए वन्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश तोमर, लोकेश दुबे एवं सूरज यादव को प्रशिक्षण के लिए जूनागढ़ गुजरात के शक्करबाग जू में भेजा गया था। इसके बाद देविका को हाथ से दूध पिलाना शुरू किया कुछ दिन में ही उसने निपल से दूध पीना सीखा। इस दौरान प्रतिदिन शावक का वजन किया जाता रहा। 24 घंटे की निगरानी एवं वहां पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया गया। ताकि किसी भी प्रकार से बाहरी संक्रमण न हो सके। देविका के कमरे में ग्लोबल लगाया गया था ताकि उसे ठंड से बचाया जा सके।

105 दिन में बढ़ा पौने 4 किलो वजन
देविका की उम्र 105 दिन की हो चुकी है एवं अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। जन्म के समय उसका वजन 1320 ग्राम था जो आज 6 किलो है। अभी भी उसकी समुचित देखरेख की जा रही है। नियमित रूप से उसका परीक्षण किया जा रहा है। लायन शावक का जन्म एवं सुरक्षित पालन पोषण जू के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। विशेष परिस्थिति न होने के बावजूद जू में एक स्वस्थ शावक का जन्म गौरव की बात है।