तेरह साल चला संघर्ष: अंतत: बगहा तालाब शासकीय घोषित

सतना | शासकीय आराजियों को भू- माफियाओं के चंगुल से बचाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अजय कटेसरिया द्वारा पटवारी हल्का बगहा स्थित तालाब की आराजी नं.-68 रकवा 6.15 एकड़ एवं आराजी क्रमांक 853/960, 853/4, 839/1, 851/1, 853/1, 853/2, 843, 843/2 एवं 852 को म.प्र. भू राजस्व संहिता के तहत शासकीय घोषित किया गया है। इसके साथ ही तहसीलदार रघुराजनगर को शासकीय अभिलेख में सुधार करने के निदेश भी दिए गए हैं। आराजी की नवइयत में तालाब, मेड़, देवस्थान, चारागाह एवं श्मशान दर्ज थी।

माना जा रहा है कि कलेक्टर के इस फैसले के बाद जिले के अन्य तालाबों के संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा। 39 पेज के आदेश में कलेक्टर अजय कटेसरिया ने माना है कि सिंघाड़ा लगाने के लिए दिए गए तालाब का नियमों का दुरूपयोग करते हुए गलत तरीके से निजी कराया गया और नवईयत बदलकर व्यवसायिक खरीदी- विक्री की गई।

अपने फैसले में कलेक्टर अजय कटेसरिया ने यह भी कहा है कि 27 जुलाई 2020 को रघुराजनगर तहसीलदार के प्रतिवेदन में स्पष्ट किया गया है कि उक्त आराजियां रीवा राज्य द्वारा संधारित रजिस्टर में बांध, बाग, तालाब में दर्ज हैं तथा सम्मत् 1983 से 2002 तक खसरे में नवईयत तालाब, सरकारी भीठा, अगोर महाराजा साहब बहादुर के नाम दर्ज है। बताया जाता है कि जिस आराजी को शासकीय घोषित किया गया है उसके लिए 13 सालों की लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी है। 

30 मार्च 2007 को इस तालाब की आराजी को खुर्द- बुर्द करने के लिए पहली बार जेसीबी के जरिए तालब की मेड़ के स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास किया गया था तब के कलेक्टर मनीष रस्तोगी के बंगले में लोगों ने मामले से अवगत कराया था तब उन्होने तुरंत काम रूकवाया था तब से आंदोलन और कानूनी लड़ाई का दौर जारी रहा अंतत: 24 दिसम्बर को कलेक्टर अजय कटेसरिया ने तालाब को शासकीय घोषित कर दिया। इस फैसले का महत्व क्या है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमूमन प्रशासन के किसी भी फैसले पर जनता कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं देती है लेकिन फैसला आने के बाद बगहा में मिठाईयां बंटी, लोगों ने जश्न मनाया और पटाखे फोड़े। 

अवैधानिक काम 
आदेश में कहा गया है कि उक्त आराजियां सिंघाड़ा लगाने के लिए लगान पर दी गई थीं, लेकिन बाद में बिना सक्षम आदेश आपराधिक षड़यंत्र के तहत मूल नवईयत  विलोपित करते हुए शासकीय नियमों एवं समय- समय पर न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसलों  के विपरीत व्यवसायिक खरीद - विक्री की गई यह अवैधानिक है। 

भू- माफिया को बड़ा झटका  
बगहा तालाब जिसे गेरूहा तालाब के नाम से भी जाना जाता है उसे सरकारी घोषित करते हुए कलेक्टर ने भू- माफियाओं को बड़ा झटका दिया है। यहां उल्लेखनीय है कि पिछले साल 23 अपै्रल 2019 को पुलिस और प्रशसन की मौजूदगी में ही इस तालाब के लगभग डेढ़ एकड़ के रकवे में बॉउड्रीवॉल खड़ी की गई थी। 

128 दिनों तक किया अनशन 
भू- माफियाओं के चंगुल से तालाब बचाने के लिए तालाब बचाओ आंदोलन के बैनर तले 128 दिनों को क्रमिक अनशन भी 2007 में किया गया था। इस आन्दोलन में भाग लेने के लिए मैग्सेसे पुरूस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह दो दिनों के लिए सतना भी आए थे। इस दौरान उन्होने यहां आंदोलन में भाग लेने के साथ ही तत्कालीन कलेक्टर से मुलाकात कर तालाब को भ- माफियाओं से बचाने की मांग की थी। लगभग चार माह तक चले तांलाब बचाओ इस आंदोलन में स्वगीय अरूण त्यागी, डॉ. जे आर नारायण, शेषमणि शुक्ला, स्वगीय ध्रुव सिंह परिहार की अहम भूमिका रही।  

ये थे याचिकाकर्ता
बगहा स्थित गेरूहा तालाब को बचाने के लिए 13 सालों तक एक लम्बी लड़ाई लड़ी गई। इस लड़ाई को लड़ने के लिए रामाश्रय तिवारी, रामकुमार तिवारी, दिनेश तिवारी, सत्येन्द्र दुबे, अभिषेक तिवारी अंशु गढ़िया, शांतुनु तिवारी, संदीप तिवारी एवं महेश्वर तिवारी ने याचिका लगाई थी। 

इन्होने लड़ी लड़ाई
तालाब बचाने के लिए लगाई गई याचिका की पैरवी अधिवक्ता दिनेश श्रीवास्तव, एनके गर्ग , उपेन्द्र तिवारी एवं प्रमोद गर्ग ने की। 

इनके खिलाफ फैसला 
कलेक्टर के आदेश से जो लोग प्रभावित हुए हैं उनमें धम प्रकाश बगहा,राजेश प्रसाद हनुमान चौक,आशा-ऊषा मिश्रा, जगमोहनलाल मिश्रा अहरी टोला,विजय सिंह, आशीष सिंह, कुसुम सिंह अहरीटोला,किरण, ममता एवं अरूण कुमारी खैरा शामिल हैं। कलेक्टर श्री कटेसरिया ने जिस आराजी को शासकीय घोषित किया है उसे लोगों ने अपनी पत्नी और बेटी के नाम खरीद रखा था। 

अखण्ड रामायण आज भण्डारा कल 
कलेक्टर अजय कटेसरिया द्वारा बगहा स्थित गेरूहा तालाब को शासकीय घोषित किए जाने के बाद से स्थानीय लोगों में हष व्याप्त है। तालाब शासकीय घोषित होने पर स्थानीय लोगों द्वारा शनिवार को तालाब की मेड़ में ही स्थित चंडी माता के मंदिर में अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन किया गया है। इसके बाद रविवार को सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक दुगा सप्तमी का पाठ होगा। इसके बाद भण्डारे का आयोजन होगा।