बाघों के लिए फेंसिंग प्रोजेक्ट: न वन विभाग से हरी झंडी और न रेलवे से जवाब

सतना। सतना-मानिकपुर रेलखंड के बीच घने जंगल में स्थाई रहवास बनाने वाले बाघों की सुरक्षा को लेकर सतना वन मंडल से भेजा गया ढ़ाई करोड़ जाली-फैंसिंग का प्रोजेक्ट फाइलों में ही रह गया है।

मझगवां रेंज में बाघों की मौजूदगी का मामला  

बता दें कि चितहरा-मझगंवा रेल ट्रैक के किनारे दोनों तरफ 5 किलोमीटर तक 8 फीट ऊंचाई की जाली लगाने का प्रस्ताव तैयार कर वन मंडलाधिकारी राजीव मिश्रा ने वन मुख्यालय भोपाल भेजा था। लेकिन राजधानी के अफसरों ने प्रोजेक्ट को न तो हरी झंडी दी और न ही जवाब।  

15 दिन बाद रेलवे से जवाब नहीं 
6 जनवरी को मारकुंडी-टिकरिया रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन की टक्कर से घायल होकर तेदुंए की मौत हो गईथी । घटना के बाद मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारी सख्ते में आ गए । अपनी-अपनी सीमा में वन्यप्राणियों की सुरक्षा को लेकर कागजी घोड़े दौड़ाने शुरु कर दिए। सतना वन मंडलाधिकारी ने रेलवे डीआरएम जबलपुर को ट्रेनों की गति कम करने व गुजरने वाली ट्रेन के लोको पायलटों को हार्न बजाने के संबंध में पत्र भेजा है। 15 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रेलवे से जवाब नहीं मिला।

असंभव है स्थाई कॉशन 
तेंदुए की मौत होने के बाद भी रेलवे स्थाई रुप से ट्रेनों की गति कम करने के लिए तैयार नहीं है। रेलवे डीआरएम जबलपुर संजय विश्वास की मानें तो रेल ट्रैक के किनारे बाघ की पुष्टि होने के बाद ही कॉशन व हार्न बजाने के निर्देश दिए जाएंगे। कॉरीडोर होने पर ही स्थाई रुप से कॉशन लगाए जाने का प्रावधान है। 

फेंसिंग का प्रोजेक्ट भेजा गया है। पर, अभी अपडेट नहीं है। 15 दिन पहले ट्रेनों की गति कम करने व जंगल से गुजरने वाले ट्रेनों के हार्न बजाने को लेकर रेलवे डीआरएम को पत्र भेजा गया था,जिसका अब तक जवाब नही मिला। 
राजीव मिश्रा, वन मंडलाधिकारी सतना