बढ़ता गया अतिक्रमण, घटता गया तालाबों का रकवा

सतना | एक तरफ जहां शहर के तालाबों के जीर्णोंद्धार के प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भू- माफिया तालाबों पर लगातार कब्जे कर रहा है। कभी तालाबों का शहर कहे जाने वाले सतना में जब से शासकीय जमीनों पर कब्जा जमाने के बाद भू- माफिया की नजर तालाबों पर पड़ी है, तबसे तालाबों का रकबा दिन-ब- दिन घटता जा रहा है। जगतदेव तालाब का मामला हो, बगहा,धवारी या फिर शहर के अन्य किसी तालाब का हर तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़  रहा है और तालाबों का रकबा दिन- ब- दिन घटता जा रहा है।

नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में 21 तालाब हैं उनमें से लगभग सभी में कुछ न कुछ अतिक्रमण है। इन तालाबों में कितना अतिक्रमण है इसके सीमांकन के लिए अब से तीन साल पहले तत्कालीन नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल और मौजूदा नगर निगम आयुक्त अमनबीर सिंह बैस राजस्व महकमे को पत्र लिख चुके हैं लेकिन अभी तक शहर के तालाबों का सीमांकन नहीं कराया जा सका है। बताया जाता है कि 21 में से 13 मौसमी और आठ बारहमासी तालाब हैं। गौरतलब है कि भू- माफिया को झटका देते हुए कलेक्टर अजय कटेसरिया द्वारा बगहा तालाब को शासकीय किए जाने के बाद तालाबों के संरक्षण और संवर्धन में लगे लोगों को बल मिला है। लोगों में उम्मीद जागी है कि आने वाले समय में शहर में उन तालबों को बचाने की भी पहल होगी जो धीरे- धीरे अतिक्रमण के चलते अपना मूल स्वरूप खो रहे हैं। 

मऊगंज विधायक ने विस में उठाया है मामला 
शहर के तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं यह मामला विधान सभा में भी उठ चुका है। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने यह मामला विधानसभा में उठाते हुए तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करवाए जाने की मांग की है। विधयाक पटेल ने शहर के अमौधा, बगहा, महदेवा, धवारी और जगतदेव तालाब में अतिक्रमण का मामला उठाया है। इन तालाबों में अतिक्रमण को रोकने और सीमांकन कराए जाने के अलावा विधायक ने नारायण तालाब, संतोषी माता और अन्य तालाबों में गंदगी का मामला भी विधानसभा में उठाया है। विधायक ने बताया कि इन तालाबों से अतिक्रमण हटाने और सीमांकन की अभी कोई जानकारी नहीं है। 

तालाबों के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। तालाब स्थानीय स्तर पर वाटर रिचार्जिंग के सबसे कारगर स्त्रोत होते हैं। सभी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।
अजय कटोरिया, कलेक्टर