दिव्य विचार: घबराएं नहीं, आत्मविश्वास जगाएं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कई बार लोगों के साथ ऐसा होता है। देखो - शत-प्रतिशत सही निर्णय तो किसी के नहीं होते, गलत निर्णय अनेक बार होते हैं। सही व्यक्ति सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करता है । घबड़ाना नहीं चाहिए, अपना आत्मविश्वास तो जगाइए, आत्मविश्वास जगाइए। अगर आपका अपना आत्मविश्वास प्रगाढ़ होगा तो आप अपने भविष्य के प्रति कभी शंका नहीं करेंगे। ठीक है, जो मैं करूँगा उसका परिणाम आएगा, बाई चांस कुछ गलत भी हो गया तो निपटेंगे। अरे भाई। अपने जीवन को पलटकर देखो, तुमने चलना शुरु किया तो उससे पहले कितनी बार गिरे ? बोलो.., हम तुम जितने भी इस संसार में हैं, बिना गिरे कोई चलना नहीं सीखा और उस समय हमारी माँ ने हमको यह सोचकर पकड़ा नहीं कि कहीं गिर न जाए। अगर माँ यह सोचकर बैठी रहती कि कहीं गिर न जाएँ और हमें बार-बार पकड़ती, सहारा देती तो आज हम अपने बल पर चलने में समर्थ नहीं होते। यह माँ की कृपा है कि हम चल रहे हैं, गिर रहे हैं तो गिरते समय उन्होंने कुछ गिरने की चिन्ता नहीं की, उस पुचकारके कहा- बेटा ! उठ खड़ा हो, फिर चलना, चलना, चलना और हम गिर- गिर कर मजबूत हुए। आज अपने पाँव पर चलने में समर्थ हैं, सब की कहानी है न ये? गिरकर चलना हुआ, मैं गिर न जाऊँ, उसकी शंका क्यों करते हो। गिरूँगा तो और मजबूत बनूँगा, फिर उठकर खड़ा होऊँगा और सफलता के मुकाम पर पहुँचूँगा । यह हौसला अपने भीतर होना चाहिए, प्रगाढ़ आत्मविश्वास अपने भीतर जगाइए, बनाइए, भविष्य की कोई चिन्ता आपके मन में नहीं होगी। मनुष्य के मन में भविष्य की शंका का दूसरा कारण है- नकारात्मक सोच। कुछ लोगों का स्वभाव होता है, हर बात पर नकारात्मक नकारात्मक नजरिए से देखते हैं, उनकी सोच ही ऐसी हो जाती है और नेगेटिव सोच-सोचकर सारे परिणाम नेगेटिव बना लेते हैं। अपनी सोच में बदलाव लाइए, हम पॉजिटिव सोचें।