भाषाओं के विकास में हो तकनीक का उपयोग

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल ने भाषाई सद्भावना पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री संचालक कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि भाषाओं के विकास में तकनीक का उपयोग होना चाहिए। लेकिन हमें तकनीक के गुलाम नहीं बनना है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा और समृद्ध संस्कृति को महत्व देने पर बल दिया। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर खेमसिंह डहेरिया ने विभिन्न भाषाओं का संयुक्त कोष प्रकाशित करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में चिकित्सा और अभियांत्रिकी पाठ्यक्रमों के हिंदी में शुरू होने से हिंदी का प्रचार बढ़ा है। कार्यक्रम के वक्ताओं में सिंधी भाषा के प्रतिनिधि के रूप में अशोक मनवानी और कविता इसरानी ने हिस्सा लिया। इसरानी ने सिंधी भाषा के उत्पत्ति, विकास, विभिन्न लिपियों के उपयोग और विभाजन के कारण भाषा संरक्षण में उत्पन्न समस्याओं पर रोशनी डाली। मराठी भाषा के प्रतिनिधि भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी अनिल निगुड़कर और विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेन्द्र जैन ने भी विचार व्यक्त किए। यह संगोष्ठी राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और हिंदी प्रेमी उपस्थित थे। यूनेस्को की पहल पर शुरू हुए इस दिवस का आयोजन हिंदी विश्वविद्यालय हर वर्ष करता है।