दिव्य विचार: धर्म के प्रति लगाव होना चाहिए- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कई लोग तो कहते हैं- हमको धर्म से एलर्जी है। ठीक है, एलर्जी है तो रखो, इस एलर्जी का कोई इलाज भी नहीं है। दुनिया की सारी एलर्जी का इलाज धर्म से हो सकता है लेकिन जिसको धर्म से ही एलर्जी है, वह जिन्दगी भर बीमार बना रहेगा। उसकी एलर्जी मिटने वाली नहीं है, यह बात गाँठ में बाँधकर रखने की है। हमें जीवन की वास्तविकता को समझने की आवश्यकता है। उसी अनुरूप अपने जीवन को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। हम धर्म के बारे में सोचें, धर्म के प्रति हमारा प्रगाढ़ लगाव होना चाहिए, वह हमारी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए। बहुत कम लोग हैं, जो धर्म को और धर्मी को गले लगाने की बात सोचते हैं। प्रायः लोग धर्म की उपेक्षा करते हैं, धर्मी की उपेक्षा करते हैं। धर्म और धर्मी की उपेक्षा करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता। यह बात गाँठ में बाँधकर रखो, इन्हें गले लगाओ, इन्हे अपनाओ। यह हमारे जीवन में सबसे ऊँची प्राथमिकता पर होना चाहिए। दूसरे क्रम में माँ-बाप, उन्हें जीवन में कभी मत ठुकराना। विडम्बना है कि आज उन्हें भी ठुकराया जा रहा है, और उस ठुकरायेपन को देखकर माँ-बाप के अन्दर कितनी वेदना होती है, आप सोच सकते हैं? एक पिता, बेटा उसे वृद्ध आश्रम में छोड़ आया। वृद्धाश्रम में छोड़कर जब लौट रहा था तो बेटे ने पिता से पूछा- पिताजी ! आप मुझे कुछ कहना चाहेंगे? इस घड़ी आप मुझे कुछ कहना चाहेंगे। पिता ने केवल एक ही बात कही- बेटा! बस मैं एक ही बात सोच रहा हूँ, आज से 30 बरस पहले मैंने तुझे अनाथाश्रम में भेज दिया होता तो आज मुझे वृद्धाश्रम का मुँह देखने की नौबत नहीं आती। 30 बरस पहले मैंने तुझे अनाथाश्रम में भेज दिया होता तो आज मुझे वृद्धाश्रम का मुँह नहीं देखना पड़ता। कितनी गहरी बात है, आप सोच सकते हैं कि इन सबका क्या परिणाम निकलता होगा?