दिव्य विचार : फिजूल की बातों में न उलझें - मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते है कि ये चारों काम करने वाला आदमी फालतू है। क्या कहा? फालतू विचार, फालतू बातें, फालतू खर्च और फालतू काम करने वाला आदमी फालतू है। अब आप एक-एक करके देखिए कि मेरी स्थिति क्या है? मैं विचार से शुरु करता हूँ। विचार करने की शक्ति हर मनुष्य के मन में है। हर मनुष्य तरह-तरह के विचार करता है और जितनी वैचारिक शक्ति मनुष्य के पास है, उतनी संसार में किसी दूसरे प्राणी के पास नहीं है। विचार तो आप-हम सब करते हैं लेकिन थोड़ा अपने मन को देखें कि तुम्हारे मन में जो विचार आते हैं, वे काम के आते हैं या फालतू के ज्यादा आते हैं। किस तरह के विचार तुम्हारे मन में पनपते हैं। फालतू के विचार, जिसे आपने पालतू बना रखा है। फालतू के विचार मानव मस्तिष्क में घूमते रहते हैं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं- एक मनुष्य के चित्त में सुबह से शाम तक चौबीस घण्टे में पचास हजार से सत्तर हजार विचार होते हैं। कितने विचार आते हैं- पचास हजार से सत्तर हजार विचार, एवरेज लें तो साठ हजार विचार। एक मिनट में पैतीस से पैतालीस विचार, आप कल्पना कर सकते है। एक मिनट में पैतीस से पैतालीस विचार यानी लगभग दो सेकंड में एक विचार हमारे मन में होता है। कितनी तेजी से विचारों का चक्र घूमता है। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जो विचारों में ही खोए रहते हैं। जिसके लिए एक शब्द आता है- ओवर थिंकिंग। जरूरत से ज्यादा विचार करने वाले लोग जिन्दगी भर परेशान होते हैं। आप अपने मन को टटोलिए और देखिए कि मेरी स्थिति क्या है? कहीं मेरा स्थान ओवर थिंकिंग करने वाले लोगों में तो नहीं है। यह क्यों हो गया, ऐसा होगा तो क्या होगा, वैसा होगा तो क्या होगा, जहाँ हों, दिमाग चलाना शुरु कर देते हैं। मतलब की बातों में दिमाग लगाने का तो फिर भी अर्थ है पर फिजूल की बातों में जी उलझाने का क्या मतलब है।