दिव्य विचार: दुखी व्यक्ति को संबल देने की कोशिश करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: दुखी व्यक्ति को संबल देने की कोशिश करें- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि कोई व्यक्ति चिन्तित हो, हताश हो, पीड़ित हो, दुःखी हो तो तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम उसे ऐसा मोटिवेशन दो कि उसकी सारी चिन्ता खत्म हो जाए। रोता हुआ आए और हँसता हुआ जाए। जिन्दादिली अपनाओ और हर व्यक्ति को जिन्दादिल बनाने की कोशिश करो। यह कर्म होना चाहिए। कोई मायूस दिखता हो, कोई दुःखी दिखता हो, कोई हताश दिखता हो तो तुम उसकी उपेक्षा कभी मत करना। उसे थोड़ा सा समय देना। सबसे पहले मुस्कुराकर बात करना। तुम्हारी छोटी सी मुस्कान से यदि किसी का जीवन सम्हल जाए तो इससे बड़ी बात क्या होगी? उससे तुम अच्छे से बात करो, उसकी बात को सुनो और समाधान का रास्ता निकालो, उसका जीवन बदल जाएगा। मेरे पास एक युवक, एक लड़के को लेकर आया । बोला- महाराज जी! इस व्यक्ति को थोड़ा सम्हाल लीजिए। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, उसका एक लड़की से अफेयर चल रहा था। ब्रेकअप हो जाने के कारण वह बहुत टूट गया था। आजकल तो ऐसा रोज होता है। रोज प्यार होता है, रोज ब्रेकअप होता है। ब्रेकअप हो गया, यह टूट गया और इतना गहरा टूटा कि इसने सुसाइड करने का मन बना लिया था। महाराज जी ! अचानक मुझसे यह मिल गया और मिला भी कैसे? महाराज जी ! मैं प्रामाणिक एप पर आपको सुन रहा था। आपका प्रवचन इसी बात को लेकर आ रहा था, डिप्रेशन से जुड़ा हुआ प्रवचन था, मैं उसे सुन रहा था। यह मेरे साथ ट्रेन में था, इसने फिर मुझसे बातचीत की और अपने अन्दर की व्यथा कही। मैं इससे एकदम अनजान था, मेरा इसका कोई परिचय नहीं। लेकिन जब इसने पूरी बात बताई तो मेरा मन बड़ा व्यथित हुआ। मैंने इसे तरीके तरीके से समझाया। मेरे समझाने के बाद इसका मन बन गया कि नहीं अब मैं ये काम नहीं करूँगा। लेकर आया हूँ, आप मार्गदर्शन दीजिए ताकि इसका जीवन सम्हल जाए और इसकी जान बच जाए।