दिव्य विचार: गलतियों को छिपाए नहीं-मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: गलतियों को छिपाए नहीं-मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि मैं कहना चाहता हूँ चाहे लड़का हो या लड़की, कोई भी हो जीवन में कभी कोई गलती मत करो और अगर गलती हो जाए तो माँ-बाप से कभी मत छिपाओ। माता पिता को भी चाहिए कि बच्चे अगर कोई गलती करें तो वातावरण का प्रभाव मानकर उस गलती को माफ करो और उस बच्चे को साफ करने का रास्ता बताओ ताकि वह अपना शुद्ध जीवन जी सके, सार्थक जीवन जी सके। उसके हृदय में तुम्हारे प्रति भरोसा आ सके ये बहुत बड़ी जरूरत है। माँ-बाप के साथ कुटिलता मत रखो। माँ-बाप के साथ जटिलता मत रखो। माँ-बाप के साथ कपट मत करो। गुरु के सामने कुटिलता मत रखना। गुरु के समक्ष कुटिल बनोगे तो जीवन भर कुटिल ही बने रहोगे। गुरु के समक्ष सरल हृदय लेकर आओ। उनके सामने कुटिलता, जटिलता, कपट या कृत्रिमता लेकर जाओगे तो तुम धर्म से दूर हो जाओगे। कहावत है-

गुरू से झूठ मित्र से चोरी । कै हो निर्धन कै हो कोरी ॥

जिनके चरणों में अपना शीश झुकाते हो, जिनको तुम अपने जीवन का आदर्श मानते हो, जिनकी पूजा करते हो, उनके पास भी अगर तुम किसी तरह का दुराव-छिपाव रखोगे, उनसे झूठ बोलोगे तो जीवन में कभी सफल नहीं हो सकोगे। वहाँ निश्छल मन से जाओ क्योंकि गुरु भी निश्छल होते हैं। निश्छल व्यक्ति के पास जब निश्छल मन से जाओगे तभी अपने जीवन में सफल हो पाओगे। वहाँ छल लेकर जाओगे तो दुनिया भर में छले जाओगे। ध्यान रखना दूसरों को छलने वाला खुद को छलता है। हम दूसरों को कितनी बार छलेंगे? जैसे काठ की हांडी दूसरी बार प्रयोग में नहीं आती वैसे ही छल-कपट किसी के साथ एक बार से दुबारा तो नहीं कर पाओगे। जिनके सम्मुख हम सरलता पाने के लिए जाते हैं अगर वहाँ भी कुटिलता करेंगे तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी।