दिव्य विचार: अनैतिकता से पैसे मत कमाओ- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि दूसरे क्रम पर है पुण्यलक्ष्मी । पुण्यलक्ष्मी का मतलब जिस लक्ष्मी को तुमने पुण्य के कार्य में लगा दिया, जिस सम्पदा को तुमने पुण्य के कार्य में लगा दिया, जिस सम्पत्ति को तुमने सत्कार्य में लगा दिया वह भाग्यलक्ष्मी पुण्यलक्ष्मी में परिवर्तित हो जाती है। तुमने अपार दौलत पाई। उस दौलत का उपयोग किसमें किया? जितना तुमने पुण्य में लगाया वह है पुण्यलक्ष्मी अर्थात् सम्पत्ति का जो पुण्य में वियोजन है वह भाग्य को पुण्य लक्ष्मी में परिवर्तित करने की कला है। इतना ही नहीं विरासत में तुमने सम्पत्ति पाई, कुछ पुण्य भी लेकर आए; उस पुण्य ने तुमको अनुकूल संयोग दिया, उस पुण्य की बैकिंग में तुमने जो पैसा कमाया (अच्छा कार्य करके, बुरा कार्य करके नहीं) वह भी पुण्यलक्ष्मी है। सत्कर्म में लगाया गया द्रव्य पुण्यलक्ष्मी और सत्कर्म करके कमाई गई सम्पत्ति भी पुण्यलक्ष्मी। अनैतिकता, अप्रामाणिकता और गलत हथकण्डे अपनाकर पैसा कमाने वाले अलग लोग हैं लेकिन दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो सही रास्ते पर चलकर पैसा कमाते हैं और उसे सही रास्ते पर ही लगाते हैं। सही रास्ते से पैसा कमाना और सही रास्ते पर पैसा लगाना दोनों बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसा कौन करते हैं जो पुण्यलक्ष्मी के धनी होते हैं। आपके पास पुण्य है; भाग्य लेकर आए और पुण्य भी साथ में है। अब क्या कर रहे हो? पुण्य से कमा रहे हो या पुण्य कमा रहे हो? दोनों चीजें है पुण्य से कमाओ और कमाने के बाद पुण्य कमाओ। ये पुण्यलक्ष्मी का प्रतीक है। मतलब समझ में नहीं आया। अभी समझ में आ जाएगा। पुण्य से कमाओ यानि अच्छा कार्य करके कमाओ, बुरा कार्य करके मत कमाओ। अनैतिकता, अप्रमाणिकता, हिंसा, शोषण आदि के रास्ते से पैसा कभी मत कमाओ। क्रूर कर्म करके पैसा कभी अर्जित न करो। अनैतिक कृत्य करके पैसा कभी अर्जित न करो। पुण्य से कमाओ और बिना पुण्य के कमा भी नहीं सकोगे।