कार्यक्रम में दस मिनट की देरी से पहुंचीं आयुक्त, नाराज विधायक ने नहीं दिखाई झण्डी
सतना | स्वच्छता सर्वेक्षण -2021 की तैयारियों में जुटी नगर निगम ने शनिवार को स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए एक साइकल रैली का आयोजन किया था, निगम का यह आयोजन विवादों में घिर गया। विवाद तो यहां तक पहुंच गया कि नाराज विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा पूरे कार्यक्रम के दौरान नगर निगम परिसर में मौजूद तो रहे पर साइकिल रैली को उन्होंने हरी झंडी नहीं दिखाई। विधायक की नाराजगी कार्यक्रम आयोजक नगर निगम की मुखिया की देरी से आने पर थी। दरअसल हुआ यूं कि नगर निगम ने स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम कार्यालय से एक साइकिल रैली का आयोजन किया गया। यह आयोजन अपने निर्धारित समय 10-15 मिनट देरी से शुरू हुआ।
बार-बार आग्रह फिर भी नहीं पसीजे
नाराज विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा से निगम के कर्मचारियों द्वारा बार -बार साइकल रैली को हरी झंडी दिखाने के लिए आग्रह किया गया लेकिन विधायक नहीं पसीजे, हालांकि विधायक ने लेडीज फर्स्ट का हवाला देकर आयुक्त को हरी झण्डी दिखाने का इशारा किया। अंत में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश ताम्रकार ने साइकल रैली को हरी झंडी दिखाई।
समय से पहले आ गए विधायक
बताया जाता है कि नगर निगम द्वारा साइकिल रैली का आयोजन सुबह सात बजे से किया था। निगम के इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाए गए सतना विधायक निर्धारित समय से लगभग पांच मिनट पहले 6 बजकर 55 मिनट पर ही निगम कार्यालय पहुंच गए। विधायक श्री कुशवाहा नगर निगम पहुंचे उस समय निगम कर्मियों व कुछ प्रतिभागी मौके पर मौजूद रहे,लेकिन नगर निगम आयुक्त की गैर मौजूदगी विधायक को खल गई, हालांकि विधायक के निगम कार्यालय पहुंचने की सूचना मिलते ही आयुक्त तन्वी हुड्डा भी लगभग 10-15 मिनट में कार्यालय पहुंच गई लेकिन तब तक विधायक का पारा चढ़ चुका था, यद्यपि निगम के कर्मचारियों का कहना है कि कार्यक्रम में 10-15 मिनट की देरी की सूचना विधायक को दी गई थी।
यह पहला अवसर नहीं
नगर निगम के किसी कार्यक्रम में विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा नाराज हुए हों यह पहला अवसर नहीं है। इससे पहले अपनी ही सरकार के दौरान चलाए गए आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान गढिया टोला में आयोजित कार्यक्रम में भी वे नाराज हुए थे। विधायक समर्थकों का कहना है कि हर बार नगर निगम द्वारा विधायक को कार्यक्रम में तो बुला लिया जाता है। पर कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्था के मुखिया ही नदारत रहते हैं। विधायक की सहजता का नाजायज फायदा उठाया जाता है।