आखिर गरीब लोगों पर ही टीके के परीक्षण क्यों किए जा रहे हैं: दिग्विजय सिंह
भोपाल | कोवैक्सीन का ट्रायल डोज लगवाने के 9 दिनों के अंदर जान गंवाने वाले दीपक मरावी की मौत के मामले पर सियासत शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने सवाल उठाया कि आखिर गरीब लोगों पर ही क्यों टीके के परीक्षण किए जा रहे हैं और फिर परीक्षण के बाद उन पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही? तो फिर परीक्षण क्यों किया गया?
उन्होंने कहा कि वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे। दिग्विजय पीड़ित के घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। वैक्सीन निर्माता कंपनी ने आगे अपने बयान में कहा कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह आशंका जताई गई है कि वॉलंटियर की मौत जहर की वजह से हुई है।
मृतक की पत्नी ने प्रशासन पर लगाया आरोप
मृतक की पत्नी ने पूर्व मुख्यमंत्री को बताया कि उनकी बिना जानकारी के उनके पति को टीका लगाया गया। मरावी की पत्नी ने बताया कि उनके पति को कोई भी बीमारी नहीं थी। टीका लगने से ही उनकी मौत हुई है और उनकी मृत्यु के बाद शासन प्रशासन ने आज तक सुध नहीं ली।
कोवैक्सीन के चलते मरावी की मौत नहीं हुई है
इधर मंत्री चौधरी ने कहा कि मैं भी एक डॉक्टर हूँ। डॉक्टर होने के नाते मैं यह बात कह सकता हूं कि कोवैक्सिन के चलते मरावी की मौत नहीं हुई। क्योंकि वैक्सीन का प्रतिकूल प्रभाव होता तो वह 24 से 48 घंटे के बीच अपना असर दिखाता। खैर मौत जैसे भी हुई हो, हर मौत दुखदायी होती है।