टाइगर-लेपर्ड के बाद अब गिद्ध और घडिय़ाल स्टेट बनेगा मप्र

भोपाल | मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट के साथ ही लेपर्ड स्टेट भी बन चुका है। जबकि घड़ियालों की संख्या भी दुनिया में यहां सबसे अधिक घड़ियाल भी हैं। वन मंत्री विजय शाह का दावा है कि मध्यप्रदेश जल्द ही घड़ियाल भी बनने जा रहा है। टाइगर, लेपर्ड, घड़ियाल और गिद्धों की बढ़ती संख्या के कारण मध्यप्रदेश देश में नंबर-1 हो जाएगा।  

मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री का दावा है कि प्रदेश को जल्द ही घड़ियाल और गिद्ध स्टेट का खिताब मिल जाएगा। वन मंत्री विजय शाह कहते हैं कि टाइगर स्टेट और लेपर्ड स्टेट होने के बाद अब घड़ियाल और गिद्ध की संख्या के मामले में भी मध्यप्रदेश देश में नंबर वन की स्थिति में पहुंच गया है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद जल्द ही मध्यप्रदेश को यह दो खिताब और मिल जाएंगे। मध्यप्रदेश में 2019 में पक्षी गणना के मुताबिक 8397 गिद्ध थे, जो भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक हैं। इनकी संख्या बढ़ने का कारण यह भी है कि भोपाल के केरवा इलाके में 2013 में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र बनाया गया था और इसे बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्यप्रदेश सरकार की ओर से संयुक्त तौर पर संचालित किया जा रहा है।

घडिय़ाल स्टेट मध्यप्रदेश
प्रदेश में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल नदी में है। यहां के आंकड़ों से अन्य राज्यों की तुलना की गई तो यह सर्वाधिक निकले। अकेले चंबल नदी में ही 1255 घड़ियाल मिले थे। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था। चार दशक पहले घड़ियालों की संख्या खत्म होने की स्थिति में थी। तब दुनियाभर में केवल 200 घड़ियाल ही बचे थे। इनमें से पूरे भारत में 96 और चंबल नदी में 46 घड़ियाल ही थे।

2200 के पार पहुंची संख्या
2014 की गणना के अनुसार मध्यप्रदेश तेंदुआ स्टेट है। गणना के समय कर्नाटक दूसरे नंबर पर था। मध्य प्रदेश में 1817 तेंदुए पाए गए थे तो कर्नाटक में इनकी संख्या 1129 थी। वन विभाग कहता है कि मध्य प्रदेश में तेंदुए बढ़कर 2200 से अधिक हो सकते हैं।

526 बाघ हैं यहां
2006 में सर्वाधिक 300 बाघों के साथ यह टॉप पर था, लेकिन 2010 व 2014 की गणना में कर्नाटक और उत्तराखंड से पिछड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच गया था। मध्यप्रदेश को पिछले साल फिर 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। इस बीच दो-चार बाघों के कम होने की भी खबरें आई हैं।