हवाई पट्टी व उसकी बाउंड्रीवाल निर्माण: उपयंत्री के निलंबन के बाद कार्यपालन यंत्री एवं एसडीओ को भी नोटिस जारी

सतना | स्थानीय हवाई पट्टी व उसकी बाउंड्रीवाल निर्माण के मामले में लोक निर्माण विभाग के उपसचिव प्रबल सपाहा ने भी मान लिया है कि व्यापक गड़बड़ी हुई है । एयरोड्रम के उपयंत्री अश्वनी निगम के निलंबन के बाद पीडब्लूडी के कार्यपालन यंत्री बसंत कुमार विश्वकर्मा और एसडीओ बृजेश सिंह को भी कारण बताओं नोटिस जारी की गई है नोटिस में 15 दिन का समय देते हुए दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के अलावा संतोषजनक जवाब न देने पर नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की चेतावनी भी दी गई है।

मुख्य अभियंता की रिपोर्ट का हवाला
उपसचिव ने अपने नोटिस पत्र क्रमांक 3191/4510 भोपाल दिनांक 26 दिसम्बर 2020 में पीडब्लूडी के मुख्य अभियंता रीवा द्वारा की गई निरीक्षण रिपार्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि हवाई पट्टी में गुणवत्ता विहीन कार्य कराया गया है। निरीक्षण में पाया गया कि डीबीएम एवं बीसी कार्य में डामरीकरण केम्बर, गे्रडियेंट एवं बिटुमन कंटेंट निर्धारित मापदण्ड अनुसार नहीं किया गया।

ईएनसी का भी नोटिस
हवाई पट्टी निर्माण के मामले में विभाग के प्रमुख अभियन्ता ने उपसंभाग सतना के प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी बृजेश सिंह को भी नोटिस जारी की है। ईएनसी के पत्र क्रमांक 216/1234 दिनांक 23 दिसम्बर 2020 के जरिए दी गई नोटिस में भी विभिन्न अनियमितताओं का जिक्र करते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।

परफारमेंस गारंटी की सड़कें भी गुणवत्ता विहीन
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में परफारमेंस गारंटी के अंतर्गत बीते दो वर्षो में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई विभिन्न सड़को का हाल यह है कि डामर के चिथड़े उड़ चुके हैं और गिट्टी बिखर कर सड़क में फैल गई है। आरोप है कि कार्यपालन यंत्री बीके विश्वकर्मा ने परफारमेंस गारंटी की सड़को के संविदा कारों से साठगांठ कर गुणवक्ताविहीन कार्य कराया और गुणवक्ता की असलियत सामने आने के बाद ठेकेदारों को नोटिस जारी कर पहले तो अपनी गर्दन बचाने का काम किया और बाद में भुगतान के सवाल पर प्रशासकीय स्वीकृति के विरूद्ध बनाई गई सड़को के बिल ले-देकर पास कर दिए।

अंधेरगर्दी की हद: जांच करने से बच रहे अफसर
टेक्निकल जांच हुई तो गायब मिलेगा डामर हवाई पट्टी निर्माण की वस्तुत: टेक्निकल तौर पर। जांच ही नहीं हो पाई है। प्रारंभिक जांच के आधार पर निचले स्तर के कर्मचारी का निलंबन और उससे बड़े अफसरों को कारण बताओं नोटिस के अलावा अभी तक कुछ नहीं हुआ। पीडब्लूडी विभाग में अंधेरगर्दी की हद तो यह  है कि वरिष्ठ अधिकारी टीम बनाकर निष्पक्ष जांच कराने को तैयार नहीं है। जबकि हवाई पट्टी निर्माण कार्य से जुड़े छोटे कर्मचारियों का दावा है कि निमार्णाधीन क्षेत्रफल की तकनीकी जांच करा ली जाए तो 8 सेंटीमीटर डामर अधिकांश स्थानों में नही है। कहीं तीन तो कहीं चार इंच तो अनेक स्थानों में डामर गायब मिलेगा।

वीडियो बन गया बाधक
विभागीय सूत्र बताते हैं कि हवाई पट्टी व बाउंड्रीवाल निर्माण के मामले में  सतना-रीवा के विभागीय अधिकारियों के बीच सौदेबाजी का वीडियों बने होने की खबर है, जिसके चलते अपनी गर्दन बचाने कोई अधिकारी जांच करने को तैयार नहीं है। कुछ ऐसी ही स्थिति भोपाल के आला अधिकारियों की भी है जो सीधे तौर कार्यवाही करने की बजाय कार्यपालन यंत्री बीके विश्वकर्मा और प्रभारी एसडीओ बृजेश सिंह को बचा  रहे हैं। सूत्र तो यहॉं तक बताते हैं कि नोटिस जारी  होने के बाद गुरूवार दिनांक 31 दिसम्बर 2020 को ईई के सर्किट हाउस के कमरे में बृजेश सिंह करीब डेढ़ घंटे तक बैठकर बचाव का रास्ता निकालते रहे।

मिली जांच तो छुट्टी में चले गए थे अधीक्षण यंत्री
हवाई पट्टी व बाउंड्रीवाल निर्माण के मामले में प्रमुख अभियंता ने अपने पत्र क्रमांक 31 दिनांक 29 अक्टूबर 2020 को मुख्य अभियंता रीवा को जांच के आदेश दिए। सी ई जी आर गुजरे ने पत्र क्रमांक 3218 दिनांक 27 नवम्बर 2020 के जरिए अधीक्षण यंत्री बी.के. ज्ञा की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। किन्तु रहस्यमयी तरीके से जांच टीम की अध्यक्षता करने वाले बी.के. ज्ञा अचानक लंबी छुट्टी में चले गए। हाल ही में उन्होनें गत 27 दिसम्बर को ज्वाइनिंग की।

24 घंटे में प्रमुख अभियंता ने बदला अपना ही आदेश              
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता का 24 घंटे भीतर बदला अपना ही आदेश विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला लोक निर्माण विभाग के मैहर उपसंभाग का है । सूत्रों के अनुसार 31 दिसंबर को  मैहर उपसंभाग कार्यालय में उपयंत्री के तौर पर पदस्थ रमाशंकर तिवारी अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के कारण सेवानिवृत्त हो गए। उपयंत्री रमाशंकर की सेवानिवृत्ति को देखते हुए 30 दिसंबर को लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने आदेश क्रमांक- 301/036/2018/पीसी/1805 जारी कर उपयंत्री आरके शुक्ला (समूह-अ-228 )को रिक्त पद की जिम्मेदारी दे दी।

इस आदेश पर आरके शुक्ला अमल करने जा ही रहे थे कि 24 घंटे के भीतर प्रमुख अभियंता ने 31 दिसंबर को एक और आदेश क्र. 301/036/2018/पीसी/1813 जारी कर दिया। 31 दिसंबर को जारी आदेश में प्रमुख अभियंता चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने अपने 30 दिसंबर के आदेश को निरस्त करते हुए  आरके शुक्ला को प्रशासनिक आधार पर परियोजना यंत्री लोक निर्माण विभाग  पीआईयू सीधी के लिए स्थानांतरित कर दिया।

दिलचस्प बात यह है कि प्रमुख अभियंता चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने आदेश क्र. 301/036/2018/पीसी/1815 जारी करते हुए जिस उपयंत्री एमके त्रिपाठी को मैहर उपसंभाग कार्यालय में तैनाती की है वह आरके शुक्ला की तुलना में जूनियर है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर किन परिस्थितियों में प्रमुख अभियंता को 24 घंटे के भीतर ही अपने आदेश को लेकर बैकफुट पर आना पड़ा और आरके शुक्ला की वरिष्ठता को