फसल बेचने के बाद किसानों के अटके 292 करोड़ रुपए

सतना किसानों को लाभ का धंधा बनाए जाने के साथ-साथ उनकी उपज के बेहतर दाम दिए जाने को लेकर सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास अफसरों की मनमानी का शिकार हो गई है। सतना में समर्थन मूल्य  धान की फसल बेचने वाले लगभग 29 हजार से 292 करोड़ 23 लाख से अधिक की रकम फंस गई है। इस राशि के लिए किसान भटक रहे हैं। अफसर समाधान की बजाय भोपाल से सतना के कागजी घोड़े दौड़ाए हुए हैं। समर्थन में खरीदी के पश्चात परिवहन व्यवस्था की सुस्त चाल ने स्वीकृती पत्रक में रोड़ा अटका दिया है। क्योंकि, जबतक किसानों का अनाज गोदामों में भंडारित नहीं होगा तबतक भुगतान स्वीकृती पत्रक जारी नहीं होंगे।

7 दिन में भुगतान का वादा हवा-हवाई, 38 प्रतिशत अनाज खुले में  

खरीदी से जुड़े अधिकारियों की उदासीनता के चलते सिर्फ 62 प्रतिशत धान का उठाव केन्द्रों से हो पाया है। 445 की खरीदी, भुगतान सिर्फ 153 करोड़खरीदी बंद होने के बाद समर्थन मूल्य में 39688 किसानों से अबतक 445 करोड़ 40 कीमत की 24 लाख 57 हजार 957 क्विंटल धान की खरीदी की गई है। इनमें से 10 हजार किसानों के  खाते में ही 153 करोड़ 17 लाख रुपए का भुगतान हो पाया है। 7 दिन में फसल का वाजिफ दाम पाने के चक्कर में किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। इधर, जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैय्ये के चलते 169 करोड़ 52 लाख से अधिक कीमत की 9 लाख 34 हजार क्विंटल धान का उठाव खरीदी बंद होने के 72 घंटे बाद भी नहीं हो पाया।

नागरिक आपूर्ति निगम से 3 दिन के अंदर उठाव का करार करने वाले परिवहनकर्ता मनमानी पर उतारु है। इसमें लेटलतीफी का खामियाजा अन्नदाता को उठाना पड़ रहा है। उपज की तौल के बाद अधिकारियों ने किसानों की मेहनत दांव पर लगा दी है। 10 समितियों में तौल के लिए भोपाल गया पत्र सूत्रों के अनुसार 10 समितियों के दर्जनभर से अधिक किसान धान बेचने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम के आॅनलाइन टोकन से भी वंचित रह गए।

इन किसानों को सरकार की समर्थन मूल्य योजना का लाभ दिलाए जाने के लिए कलेक्टर डॉ सतेन्द्र सिंह ने भोपाल पत्र भेजकर पोर्टल खोलने की मांग की है। जैसे-जैसे स्वीकृत पत्रक जारी हो रहे है उस हिसाब से किसानों का भुगतान भी हो रहा है। भुगतान में देरी जिला स्तर के अलावा भोपाल से भी हो रहा है। 

विख्यात हिेंडोलिया, डीएम नान 

जिन किसानों को टोकन दिए गए है उनकी तौल चल  रही है। भुगतान की प्रक्रिया भी चालू है  यह जरुर है कि गति कु छ धीमी है। 
पीएल राय, डीएसओ

देखिए जैसे स्वीकृत पत्रक जारी हो रहे है,वैसे बैंक से किसानों के खातो में भुगतान की राशि भी भेजी जा रही है। 
राजेश रैकवार, जीएम डीसीसीबी