मोहनिया घाटी में दिखे वनराज, दहशत में ग्रामीण
रीवा | गुढ़ की मोहनिया घाटी में एक सप्ताह से बाघ की मौजूदगी की खबर ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। एक दिसम्बर को मोहनिया घाटी के रीवा वन परिक्षेत्र में बाघ देखने की पुष्टि लोगों द्वारा की गई थी। इसके बाद शुक्रवार को भी रीवा-सीधी सड़क पार करते हुए बाघ को देखा गया है।
गुरुवार को मैहर वन परिक्षेत्र के धनिया बीट में भी बाघ देखे जाने की पुष्टि ग्रामीणों द्वारा की गई है। माना यह जा रहा है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर अपना नया ठिकाना ढूंढ़ने के लिए यह निकला है। दो वर्ष पूर्व भी पन्ना टाइगर रिजर्व का पी-212 बाघ एक पखवाड़े तक रीवा एवं सतना वन मण्डल के जंगलों में विचरण करता रहा। हालांकि रीवा के मऊगंज वन परिक्षेत्र में ट्रंकोलाइजर कर उसे पकड़ा गया था। जिसे बाद में संजय टाइगर रिजर्व भेजा गया था।
जगह पड़ रही कम
विभागीय अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्तमान समय में 50 से ज्यादा बाघों की जनसंख्या है। यही वजह है कि वहां पर जगह कम पड़ रही है। ऐसे में वह अपना नया ठिकाना ढूंढ़ने के लिए विभिन्न जंगलों में तलाश कर रहे हैं। पन्ना से पपरा होते हुए गोविंदगढ़ एवं मोहनिया घाटी तक उनका आना-जाना रहता है। बताया गया है कि बाघ एक रात में 30 से 40 किलोमीटर तक का सफर तय करता है।
अधिकारी कर रहे नजरअंदाज
रीवा एवं सतना के जंगल में बाघ देखे जाने की लोगों द्वारा की जा रही पुष्टि को वन विभाग के अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं समीपस्थ गांव में रहने वाले लोगों में बाघ की मौजूदगी को लेकर दहशत है। हालांकि जो बाघ मोहनिया एवं मैहर वन परिक्षेत्र के धनिया बीट में देखा गया है, उसके द्वारा कहीं भी शिकार किए जाने की जानकारी नहीं मिली है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो बाघ तीन दिन में एक शिकार जरूर करता है जबकि एक दिसम्बर से विभिन्न जंगलों में विचरण करने वाले बाघ द्वारा एक भी शिकार किए जाने की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
गुढ़ की जिस मोहनिया घाटी पर बाघ देखे जाने की पुष्टि लोगों द्वारा की गई है, उससे ऐसा लगता है कि गुढ़ के बदवार में लगाए गए सोलर प्लांट एवं मोहनिया में बन रही सुरंग के चलते जो शोर शराबा हो रहा है उसके कारण वनराज के कदम नहीं रुक रहे हैं। यही वजह है कि वह मोहनिया से सतना तक का सफर तय कर रहा है। जबकि नया ठिकाना अभी तक नहीं ढूंढ़ पाया है। विशेषज्ञों की मानें तो बाघ के माता-पिता जहां गए होंगे वह वयस्क होने के बाद उन ठिकानों तक पहुंच जाता है यह उसका नेचर होता है।
जबकि इसके पहले वह जिस स्थान पर उसके माता-पिता गए हैं उसे देख नहीं पाता है फिर भी वहां तक का सफर तय करता है। माना यह जा रहा है कि जिस बाघ की मौजूदगी मोहनिया व धनिया में बताई गई है इसके पूर्व पन्ना से भागे पी-212 बाघ का भी आना-जाना मोहनिया से लेकर मैहर तक बताया गया था। जिसे बाद में मऊगंज वन परिक्षेत्र के जंगल में ट्रंकोलाइजर कर पकड़ा गया था।