बीस साल बाद भी त्रुटि सुधार को राजी नहीं विश्वविद्यालय
रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का लिपिकीय त्रुटि से गहरा नाता रहा आया है। समय-समय पर ऐसे मामले प्रकाश में आते रहे हैं जिसमें विश्वविद्यालय की गलती उजागर होने के बाद भी जिम्मेदार विभाग सुधार की बजाय संबंधित छात्र-छात्रा को एक टेबिल से दूसरे टेबिल तक भटकाने के लिए मजबूर करता आया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक वर्ष पहले शहडोल के एक छात्र की अंकसूची में जबरदस्त त्रुटि उजागर हुई थी, जिसमें संबंधित छात्र को पूर्णांक से ज्यादा अंक दे दिए गए थे।
इस मामले में छात्र को महीनों तक शहडोल से रीवा का चक्कर काटना पड़ा था। अब एक बार फिर विश्वविद्यालय का एक ऐसा मामला उजागर हुआ है, जिसमें 20 साल पहले उत्तीर्ण हुई एक छात्रा की अंकसूची में नामांकन ही दर्ज नहीं है। बताया जा रहा है कि छात्रा विश्वविद्यालय के गोपनीय से लेकर तमाम विभाग के चक्कर पिछले पांच दिनों से काट रही है लेकिन विश्वविद्यालय भूल सुधार के बजाय छात्रा को ही नियमों की पट्टी पढ़ाता जा रहा है।
बकौल छात्रा प्रियंका सिंह पत्नी अभय सिंह निवासी नागौद के अनुसार उसने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले शहीद पद्मधर सिंह स्वशासी कॉलेज से अंग्रेजी विषय से एमए की परीक्षा सत्र 1999-2000 में उत्तीर्ण की थी। उस दौरान छात्रा ने अंकसूची तो प्राप्त कर ली लेकिन दुर्भाग्यवश उसने विश्वविद्यालय की इस खामी को नहीं पकड़ा।
बताया जा रहा है कि छात्रा वर्तमान समय पर नागौद में ही वर्ग-1 की शिक्षक है और शासन के नियम के अनुसार उसे विभागीय तौर पर बीएड कराया जा रहा है। जिसके लिए छात्रा ने शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में प्रवेश ले रखा है। बताया जा रहा है कि बीएड प्रशिक्षण को लेकर उक्त छात्रा को आॅनलाइन नामांकन करना है लेकिन जब अंकसूची में नामांकन नहीं दिखा तो वह परेशान हो उठी।
ध्यान न देना बन रहा वजह
यहां गौर करने वाली बात यह है कि अंकसूची लेने के दौरान संबंधित विद्यार्थी द्वारा समय रहते अवलोकन नहीं किया जाता है। ऐसी सूरत में समस्या उत्पन्न हो जाती है। हालांकि जानकारी के बाद त्रुटि में सुधार करने का जिम्मा संबंधित विभाग का रहता है ऐसे में जिम्मेदारी का पालन होना चाहिए।
अंकसूची में नामांकन न होने की समस्या के संबंध में आपके द्वारा जानकारी दी गई है। सोमवार को कार्यालयीन अवधि के दौरान प्रकरण की जानकारी लेकर समाधान करा दिया जाएगा।
प्रो. राजकुमार आचार्य, कुलपति एपीएसयू