शिकायत के बाद एसडीएम ने सीज किया बैंक खाता
रीवा | समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए किए गए पंजीयन में व्यापक पैमाने पर अनियमितता किए जाने के मामले उजागर हो रहे हैं। दरअसल कुछ लोगों द्वारा फर्जी तरीके से दूसरे किसान की जमीन के खसरे को सम्मिलित कर धान बिक्री का पंजीयन कराया गया है।
ताज्जुब की बात यह है कि फर्जी खसरा पेश करने के बाद उसका पंजीयन कैसे कर दिया गया, यह बड़ा प्रश्न है। इस तरह किए गए पंजीयन के बाद राजस्व एवं पंजीयन कर रहे जिला खाद्य अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों की सहभागिता मानी जा रही है। हालांकि धान खरीदी के लिए जो पंजीयन किए गए थे, उसके बाद उनकी सत्यता की जांच के लिए कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने सख्त निर्देश दिए थे। बावजूद ऐसे पंजीयन निरस्त नहीं हुए। अब धान की बिक्री जब शुरू हुई, तब बिचौलियों ने धान की बिक्री भी कर दी और राशि भी उनके खाते में पहुंच गई। ताज्जुब की बात यह है कि बैंक, पंजीयन कार्यालय एवं जिला खाद्य अधिकारी कार्यालय ने धान बिक्री के लिए किए गए फर्जी पंजीयन पर अपनी मुहर लगा दी और बिचौलिए किसान बन गए।
इनका खाता हुआ सीज
जिले के गुढ़ तहसील अंतर्गत दुआरी में इस तरह का एक प्रकरण सामने आया है, जिसमें शिकायतकर्ता बंशरूप केवट पिता ढिल्लन केवट एवं जयमतिया पति रामस्वरूप, सनद कुमार, रामपाल द्वारा बताया गया कि सुनील साकेत द्वारा जयमुनिया पत्नी रामरूप 1.036 हे., श्यामलाल, जयरामलक्ष्मण 1.174 हे., वंशरूप मुन्नालाल, सुगनलाल, इन्द्रपाल, बुट्टन 1.656 हे. के नाम कुल 5.103 हेक्टेयर खसरे का फर्जी तरीके से धान विक्रय के लिए पंजीयन कराया है। अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा की गई जांच में यह सत्य पाया गया है जिसके बाद बैंक खाता कोड यूबीआई एनओ 543748 दुआरी शाखा तहसील गुढ़ को सीज करने का आदेश दिया गया है। एसडीओ द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि उक्त खाते से मेरे आदेश के पहले किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बैंक प्रबंधक को निर्देश दिए हैं कि संबंधित व्यक्ति को सोमवार साढ़े 10 बजे अनिवार्यत: सूचित किया जाए। अन्यथा यह माना जाएगा कि इस वित्तीय कदाचरण में उनकी भी बराबर की भागीदारी है तथा धान खरीदी केन्द्रों में किए जाने वाले भ्रष्टाचार व्यवसायी से सांठगांठ कर किसानों का शोषण करने के उत्तरदायी हैं। ऐसे में आपके विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान 1860 एवं शासकीय कार्य में बाधा 188, साथ ही एक अपराध को घटित करने या संरक्षण का दोषी माने जाने 151 तथा 107/116 की कार्रवाई की जाएगी।