14 लाख के घोटाले में सरपंच पद से पृथक, सचिव पर गिरी गाज

रीवा। ग्राम पंचायत मौहरिया की लोकायुक्त में पहुंची शिकायत की जब जांच कराई गई तो करीब 14 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा पाया गया। सरपंच और सचिव जांच में दोषी मिले। जांच प्रतिवेदन के बाद दोनों को सीईओ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा लेकिन किसी ने पक्ष नहीं रखा। इस पर सीईओ ने कार्रवाई करते हुए सरपंच को पद से पृथक कर दिया और सचिव को निलंबित कर दिया है।

15 जनवरी को मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि लोकायुक्त मप्र भोपाल से श्रीमती विमला साकेत सरपंच और ग्राम पंचायत मौहरिया के कार्यवाहक सचिव सर्वेश तिवारी की शिकायत मिली। शिकायत पर जांच कराई गई।

जांच परियोजना अधिकारी स्मिता खरे, बालेन्द्र पाण्डेय खंड पंचायत अधिकारी गंगेव और मनीषा मिश्रा सहायक यंत्री गंगेव ने की। जांच की गई तो इसमें ग्राम पंचायत सचिव मुकुट बहादुर सिंह द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमितता किया जाना पाया गया। 14 लाख रुपए के वित्तीय अनियमितता में से 50 फीसदी राशि डीडी के माध्यम से जमा कर जवाब देने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने निर्धारित समय पर जवाब नहीं दिया।

इस पर सीईओ ने उन्हें किए गए वित्तीय अनियिमतता का दोषी माना और निलंबन कार्रवाई करते हुए रिकवरी निकाल दी। इसी तरह सरपंच मौहरिया विमला साकेत को भी 14 लाख 49 हजार 627 रुपए मूल्यांकन से अधिक राशि आहरित किए जाने पर नोटिस जारी किया गया था। सरपंच ने भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। इस पर सीईओ शासन की राशि का दुरुपयोग किए जाने पर श्रीमती विमला साकेत सरपंच मौहरिया को सरपंच पद से पदच्युत कर दिया।

इन सबमें किया गया फर्जीवाड़ा

मौहरिया ग्राम पंचायत में आदिवासी ईजीएस स्कूल के पास आंगनबाड़ी भवन निर्माण में सरपंच ने 1 लाख 75 हजार व सचिव ने 1 लाख 75 हजार रुपए की अनियमितता की। अतिरिक्त कक्ष ईजीएस स्कूल डांडी टोला के निर्माण में सरपंच ने 1 लाख 47 हजार और सचिव ने 1 लाख 47 हजार रुपए की अनियमितता की। शांतीधाम निर्माण में 4 हजार 128 रुपए, पीसीसी सड़क निर्माण में 12 हजार 164 रुपए, पीसीसी सड़क निर्माण छेदीलाल के घर से मनविश्राम के घर तक निर्माण में 10 लाख 53 हजार रुपए की वित्तीय अनियमितता की। जांच में सब प्रमाणित पाया गया। 

6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी

सीईओ ने सरपंच को पद से पृथक करने की कार्रवाई तो की ही साथ ही उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी है। यह कार्रवाई मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40(1)(क) एवं (ख) के तहत प्रदाय शक्तियों का प्रयोग करते हुए सीईओ ने मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40(2) के तहत की है। इतना ही नहीं चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने के साथ ही सरपंच पर 1993 की धरा 92 के तहत ही भू राजस्व की भांति ही गबन की राशि वसूली के भी निर्देश दिए हैं। सरपंच से 14 लाख में से 7 लाख 24 हजार रुपए वसूले जाएंगे।