रेमडेसिविर: नियम ऐसे हैं कि आम मरीज हासिल ही नहीं कर सकता इंजेक्शन

सतना | सतना में हर चौथा व्यक्ति इस वक्त कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहा है। भले ही प्रशासन ने यह तय कर दिया है कि यह इंजेक्शन अस्पतालों को पहुंचाए जाएंगे लेकिन अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं पहुंच रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर ये इंजेक्शन पहुंच कहां रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन पहुंच रहे हैं तो यहां बेड उपलब्ध नहीं हैं। आम जनता अपने जीवनभर की कमाई निजी अस्पतालों में लुटाने के लिए मजबूर है लेकिन निजी अस्पतालों में जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं पहुंचवाई जा रही है।  निजी अस्पतालों  के लोग बाहर से इंजेक्शन खरीदकर लाने की बात कह रहे हैं। एक तरफ डॉक्टर द्वारा लगातार इंजेक्शन उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है दूसरी तरफ प्रशासन की व्यवस्था आम जनता को नया दर्द दे रही है। 

इम्यूनिटी के लिए लिख रहे रेमडेसिविर 
अस्पताल में भर्ती करने के बाद संक्रमण बढ़ने की स्थिति में निजी और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर यह तो मानते हैं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन कोविड का इलाज नहीं है लेकिन इस इंजेक्शन को इम्यूनिटी के लिए लगाने की सलाह देते हैं ताकि संक्रमण जिस स्थिति में है वहीं रुक जाए और अधिक फैले ना। हालांकि रेमडेसिविर के लिए जो गाइडलाइन सरकार की आई है उसमें रेमडेसिविर शामिल नहीं है। चिकित्सक रेमडेसिविर लिखते हैं जिसके बाद शुरू होता है इस इंजेक्शन को पाने का दर्द।

सतना के एक कोविड अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन ने बताया कि अस्पताल वालों ने अपना प्रोफार्मा भरकर दिया ताकि इंजेक्शन मिल सके। प्रोफार्मा के साथ कलेक्टर की अनुमति जरूरी बताते हैं लेकिन आम मरीज कलेक्टर तक अनुमति के लिए पहुुंच ही नहीं पाते नतीजतन अफसरों से जुड़े लोग व राजनेताओं के करीबियों के अलावा किसी को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। सरकार चाहे कितने भी दावे कर रही हो मगर आम आदमी तक अभी भी यह इंजेक्शन पहुंच से दूर हैं। 

रिवाइज हुए रेडमेसिविर इंजेक्शन के रेट
भारत सरकार के  मिनिस्ट्री आॅफ केमिकल एंड फर्टीलाइजर डिपार्टमेंट आफ फर्मास्यूटिकल नेशनल फर्मास्यूटिकल प्राइजिंग अथार्टी ने रेमडेसिविर  इंजेक्शन के रिवाइज रेट जारी किए हैं। मंत्रालय के मेम्बर सेकेट्री डा. विनोद कोतवाल ने जिन सात कम्पनियों की दरें जारी की हैं उनमें कैडिला कम्पनी का इंजेक्शन सबसे सस्ता है। रिवाइज रेट के बाद यह इंजेक्शन 899 रुपए का है। मेम्बर सेके्रटरी के अनुसार सिंजिन कम्पनी का रेमविन इंजेक्शन 2450  रुपए डा. रेड्डी लेब्रोरेट्री लिमिटेड का रेडिक्स इंजेक्शन 2700 रुपए, सिपला का सिप्रेमी 3000 रुपए, माइलन कम्पनी का डेसरेम इंजेक्शन 3400 रुपए, जुबीलेंड का जूबीआर 3400 तथा हेटरो कम्पनी का कोबीफॉर 3490 रुपए का मिलेगा।

‘नियम ऐसे जैसे जंबोजेट की करनी हो खरीददारी’ 
रेमडिसिविर इंजेक्शन पाने के लिए जो प्रक्रिया तय की गई है वह न केवल जटिल है बल्कि आम लोगों की पहुंच से दूर भी है। नियम ऐसे हैं कि जैसे विदेश से जंबो जेट की खरीदी करनी हो। मान लीजिए कि यदि कोई रेमडिसिविर इंजेक्शन लेना चाहता है तो उसे भर्ती होना अनिवार्य है। जिस अस्पताल में मरीज भर्ती होगा उसी अस्पताल के प्रबंधन द्वारा एक प्रोफार्मा भरकर दिया जाएगा। प्रोफार्मा के साथ आरटीसीपीआर की पाजिटिव रिपोर्ट ,मरीज का आधार कार्ड , डाक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के अलावा इंजेक्शन खरीदने जाने वाले का आधार कार्ड अनिवार्य है।

इतने में भी आवश्यक नहीं है कि आपको रेमडिसिविर का इंजेक्शन मिल ही जाय। इस प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद भी दुकानदार कह देता है कि कलेक्टर साहब का फोन नहीं आया है तो नहीं देंगे। इन स्थितियों में स्पष्ट है कि आम आदमी इंजेक्शन का इंतजाम जरूरत पड़ने पर नहीं कर सकता क्योंकि व्यवहारिक रूप से हर व्यक्ति न कलेक्टर तक पहुंच सकता है और न ही कलेक्टर हर व्यक्ति का फोन उठा सकते हैं।