जहरीली हुई शहर की आबोहवा, एक्यूआई 2सौ पार

रीवा। शहर की आबोहवा अब जहरीली हो गई है। शासन के गाइड लाइन को दरकिनार कर किए जा रहे निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल के चलते शहर का एक्यूआई 200 को पार कर चुका है। बढ़ते प्रदूषण पर तत्कालीन कलेक्टर की फरमान भी काम नहीं आई और इसे रोकने का प्रयास भी विफल रहा। लगातार प्रदूषण में हो रही बढ़ोत्तरी आम लोगों के लिए अब मुसीबत बन गई है।

शहर में बेतहाशा प्रदूषण की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण सड़कों एवं फ्लाई ओवर के निर्माण कार्य को माना जा रहा है। शासन की गाइड लाइन को दरकिनार कर ठेकेदार सड़कों का निर्माण कर रहे हैं। आलम यह है कि  हवा में उड़ने वाली धूल ने कई लोगों को गंभीर बीमारियों की जद में ला दिया है।

दिल्ली की तरह जहरीली हो रही शहर की आबोहवा पर प्रशासनिक अमला पूरी तरह से मौन है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो शहर से लगे बनकुइयां, कौआढ़ान में लगे क्रेशर से उड़ने वाली धूल से यहां का एक्यूआई 5सौ को पार कर गया है। जबकि शहर में यह आंकड़ा 2सौ के ऊपर है।

दरअसल शहर में प्रदूषण के यह हालात सड़क एवं फ्लाईओवर के निर्माण कार्य तथा कोष्टा में डम्प किए गए कचरे से हो गया है। शासन द्वारा सड़कों के निर्माण कार्य की डेड लाइन मिलने के बाद भी आधे शहर की सड़कें अब भी उखड़ी पड़ी हैं। वहीं हाल ही में बनाए गए कांक्रीट रोड भी बदहाल हो गए हैं जिनसे सीमेंट, गिट्टी धूल बनकर उड़ रहे हैं। खास बात यह है कि बनकुइयां क्षेत्र में चल रहे क्रेशर से प्रतिदिन शहर से गुजरने वाली 5सौ गाड़ियों से उठते गुबार ने शहर में वातावरण को प्रदूषित कर दिया है।

प्रदूषण बढ़ने के क्या हैं कारण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक शहर के अलावा बनकुइयां एवं बैजनाथ में बीते एक महीने से पीएम 2.5 का स्तर कम-ज्यादा हो रहा है। वातावरण में लगातार इसका स्तर 300 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूविक मीटर के बीच पहुंच रहा है। जिसे कि 60 के नीचे होना चाहिए। पीएम 10 का स्तर भी 450 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूविक मीटर तक पहुंच रहा है जो गंभीर खतरा है। ये थोड़े बड़े कण होते हैं जिनका सामान्य स्तर 100 से कम होना चाहिए इसके कारण वायु प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है। 

शहर का प्रदूषण हुआ चौगुना
उखड़ी सड़कों के कारण उड़ने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं सुबह की ताजी हवा में जहर घोल रहा है। गुरुवार की सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 203 पहुंच गया है। जबकि बैजनाथ एवं बनकुइयां का एक्यूआई 512 हो गया है। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि यहां की हवा में कितना प्रदूषण है। यह स्थिति वातावरण में धूल के कण और धुएं का स्तर बढ़ने के कारण हो रही है। जबकि एक्यूआई 50 से कम होने पर ही हवा शुद्ध मानी जाती है।

तत्कालीन कलेक्टर ने जारी किए थे फरमान
शहर में बढ़ते प्रदूषण पर तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने निर्माण एजेंसियों को सख्त हिदायत दी थी कि वह निर्माण स्थल के अगल-बगल 15 फिट ऊंची वैकल्पिक दीवार बनाएं ताकि धूल ऊपर न उठ सके। इतना ही नहीं सड़क से उड़ने वाली धूल को रोकने के लिए दिन में तीन बार पानी के छिड़काव करने के निर्देश दिए थे। इस फरमान के बाद दो दिनों तक उनके निर्देशों का पालन संविदाकारों द्वारा किया गया बाद में वह भी हवा हवाई हो गया।

इसलिए बढ़ रही शहर में धुंध - पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर धुंध बढ़ती है। यह हवा में घुलने वाले छोटे कण हैं। पीएम 10 का आकार 10 माइक्रो मीटर होता है। इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रो मीटर या कम होता है। पीएम 10 और 2.5 धूल कांस्ट्रक्शन और कचरा आदि जलाने से ज्यादा बढ़ते हैं।

क्या होता है पीएम - पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) - वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण होता है। ये इतने छोटे होते हैं कि माइक्रोस्कोप के जरिए ही इनका पता लगाया जा सकता है। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है और पीएम 10 की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। इनकी मौजूदगी इस स्तर से ज्यादा होने पर इन्हें सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।