रेलवे के लिए अधिग्रहीत भूमि का नहीं मिला मुआवजा, नौकरी के लिए पथरा गई आंखें

रीवा विंध्य के ड्रीम प्रोजेक्ट रीवा-सिंगरौली रेल लाइन के लिए अधिग्रहीत की गई भूमियों का अब तक मुआवजा वितरित नहीं किया गया है। वहीं 2 हजार से ज्यादा पात्र हितग्राहियों की नौकरी के लिए आंखें पथरा गई हैं। रीवा से सिंगरौली रेल लाइन में फंसने वाली जमीनों के बदले रेलवे परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था, वहीं अधिग्रहीत भूमियों का मुआवजा भी वितरण किया जाना था।

मजे की बात यह है कि रेलवे विभाग को मुआवजा वितरण एवं नौकरी देने में सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि जिन भूमियों का अधिग्रहण किया गया है, उनके कई हिस्सेदार हो गए हैं। दरअसल रेलवे में नौकरी की लालच में अधिग्रहण की जानकारी मिलते ही जमीनों के कई टुकड़े कर दिए गए।

भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा वितरण में हो रही देरी एवं पात्र हितग्राहियों को समय पर रोजगार न दे पाने के चलते निर्माण कार्य में देरी हो रही है। रीवा से सिंगरौली रेल लाइन के लिए वर्ष 2019 में 124 करोड़ रुपए का स्टीमेट स्वीकृत किया गया था। जिसमें 4 किलोमीटर तक टनल का निर्माण किया जाना था। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यह दावा किया था कि 2019 तक सीधी में रेल पहुंच जाएगी। रेल पहुंचना तो दूर की बात अभी तक पटरी निर्माण एवं भू-अर्जन की कार्रवाई भी राजस्व विभाग पूरी नहीं कर पाया है।

खातेदारों के बढ़े नाम
रीवा से सिंगरौली तक बनने वाली रेल लाइन के लिए जिन भूमियों को चिन्हित किया गया था, उन्हें अधिग्रहण के पहले ही कई लोगों को बिक्री कर दिया गया। आलम यह है कि अब एक जमीन नंबर के कई नंबर हो गए हैं। रेलवे विभाग मुआवजा वितरण एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के वादे में फंस गया है। खास बात यह है कि रेलवे लाइन निर्माण के पहले जैसे ही यह जानकारी लोगों को हुई कि चिन्हित स्थानों से रेल लाइन गुजरेगी, उन भूमियों को खरीद और बिक्री कर दी गई। जमीनें इसलिए खरीदी और बेची गई हैं कि संबंधित व्यक्ति को रोजगार मिल जाएगा, वहीं एक व्यक्ति को मिलने वाली मुआवजे की राशि भी बढ़ जाएगी।

16 सौ से ज्यादा पात्र उम्मीदवार
रीवा से सीधी तक जिन भू-स्वामियों से भूमि का अधिग्रहण किया गया है, उनके द्वारा नौकरी के लिए जो आवेदन रेलवे जबलपुर को भेजे गए थे, उनमें से विभाग ने 1600 से ज्यादा पात्र उम्मीदवारों का चयन किया है। जबकि हजारों की संख्या में नौकरी के लिए दिए गए आवेदन को रेलवे ने रिजेक्ट कर दिया है।

रीवा से सीधी, सिंगरौली रेल लाइन बिछाने के लिए जबलपुर रेल मण्डल ने किसानों की जमीन तो ले ली लेकिन नौकरी देने की बात जब आई तो नियम कोरोना काल और अन्य समस्याओं को बताकर पीछे हट गया। 16सौ से ज्यादा पात्र उम्मीदवार नौकरी की उम्मीद लगाए रेलवे के अधिकारी, कर्मचारियों के चक्कर लगाते रहे। हालांकि रेलवे ने ऐसे उम्मीदवारों को अब राहत दी है जो पात्र होने के बाद भी भटक रहे थे। रेल मण्डल के पर्सनल विभाग ने ऐसे उम्मीदवारों की एक लिस्ट तैयार की है जो प्रथम दृष्ट्या रेलवे की नौकरी पाने के हकदार हैं।

26 गांवों में अटका मुआवजा वितरण
रेल लाइन निर्माण के लिए बीते पांच वर्ष से भू- अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। चुरहट, रामपुर नैकिन, गोपदबनास और सिहावल उपखण्ड के 91 गांवों की जमीन अधिग्रहीत की जानी थी। इन सभी जगह धारा 11 व 19 का प्रकाशन कर दिया गया है लेकिन अब तक 26 गांवों का एवार्ड पारित नहीं किया गया है। जिससे किसानों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।