दिव्य विचार: सही ट्रेक से ही पहुंचेंगे मंजिल पर- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

दिव्य विचार: सही ट्रेक से ही पहुंचेंगे मंजिल पर- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि आप हमेशा ऐसा प्रयोग करते हैं। कभी आपकी गाड़ी गलत ट्रेक (रास्ते) पर चली जाती है तो क्या आप उसी ट्रेक पर चलाते हैं कि रिवर्स में (वापस) लाते हो? क्यों लाते हो रिवर्स में? सही ट्रेक पर आने की क्या जरूरत है? गाडी में बैठे हो; गाड़ी चल भी रही है कहीं भी चले जाओ। नहीं महाराज ! मंजिल को पाने के लिए सही ट्रेक पर आना जरूरी है। सही बोल रहे हो आप मंजिल तक पहुँचने के लिए सही ट्रेक पर आना जरूरी है। ये बात मुँह से बोल रहे हो कि अंदर से? यदि तुम अपने अंतर्मन से बोल रहे हो तो भैया सही ट्रेक पर आने में देरी क्यों? इसलिए कि अभी तुमने अपनी मंजिल ही तय नहीं की है। ये जीवन की हकीकत है। मैं पूछना चाहता हूँ आप लोगों से कि आपके जीवन की मंजिल क्या है? पता ही नहीं। एक दिन हमने पूछा भैया ! जिंदगी का क्या उद्देश्य है, क्यों जी रहे हो तो सभा में से एक व्यक्ति ने कहा महाराज जी ! इसलिए जी रहे हैं क्योंकि अभी मरे नहीं हैं। ऐसा आदमी जीते जी मरे हुए के समान है। अपने जीवन की मंजिल तय करो और मंजिल तय करने के बाद देखो कि मैं अपनी मंजिल की दिशा में जा रहा हूँ या उसके विरुद्ध जा रहा हूँ। जब तक तुम अपनी मंजिल तय नहीं करोगे तब तक तुम्हारा उद्धार नहीं होगा। खुद पता होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का। मील के पत्थर उन्हें कभी रास्ता नहीं देते। तुम्हें अपनी मंजिल का पता होना चाहिए। नहीं तो; न तुम्हारे गुरु तुम्हारा उद्धार कर पाएँगे, न धर्म उद्धार कर पाएगा और न ही शास्त्र उद्धार कर पाएँगे क्योंकि तुम्हारी मंजिल ही तय नहीं है। क्या है तुम्हारी मंजिल ? क्या चाहते हो? किसको अपनी मंजिल मानते हो? अभी सोचा ही नहीं है महाराज ! कब सोचोगे जब परलोक जाओगे तब। आज तय करो कि मेरी मंजिल क्या है, मेरा लक्ष्य क्या है?