दो चरणों में होंगे नगरीय निकाय चुनाव तारीखों पर अंतिम दौर का मंथन शुरू
भोपाल | मध्य प्रदेश चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है। प्रदेश के 344 निकायों में वोटिंग 2 फेज में होगी। आयोग 25 दिसंबर के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। हालांकि, विधानसभा के शीतकालीन सत्र को ध्यान में रखते हुए जनवरी के पहले सप्ताह तक इसे टाला जा सकता है।
पहली बार पार्षद प्रत्याशियों के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी गई है। उन्हें अपने चुनाव खर्च की डिटेल भी बतानी होगी। नगरीय निकाय के चुनावों में आबादी के हिसाब से खर्च की अलग-अलग सीमा तय की गई है। महानगर में पार्षद कैंडिडेट 8 लाख 75 हजार रुपए खर्च सकेंगे। जबकि नगर पंचायत चुनाव में खर्च की लिमिट 75 हजार रुपए तक की गई है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की मंशा 30 जनवरी तक नतीजे घोषित करने की है। इसकी वजह यह है कि निकाय चुनाव के बाद पंचायत के चुनाव भी कराने हैं। आयोग पंचायत चुनाव 3 फेज में फरवरी से अप्रैल के बीच में कराने की तैयारी में जुट गया है।
एक बूथ पर 1000 वोटर की लिमिट होगी- आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते पोलिंग बूथ पर वोटर की मैक्सिमम लिमिट एक हजार तय कर दी गई है। इस वजह से प्रदेश में 2,387 पोलिंग बूथ बढ़ गए हैं। पार्षद के चुनाव में धनबल का उपयोग रोकने के लिए चुनाव आयोग ने खर्च की लिमिट तय करने के साथ खर्च का ब्योरा बताने के नियम बना दिए हैं। चुनाव की तारीख से 30 दिन के अंदर प्रत्याशी या उसके एजेंट को खर्च की डिटेल देनी होगी। गलत जानकारी दी तो चुनाव रद्द करने के साथ कैंडिडेट को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।
इस बार ऑनलाइन नॉमिनेशन की सुविधा
आयोग के मुताबिक निकाय चुनाव में पहली बार आॅफलाइन के अलावा आॅनलाइन नॉमिनेशन फॉर्म जमा करने की सुविधा दी जाएगी। टढ आॅनलाइन पर नॉमिनेशन किया जा सकेगा। फॉर्म जमा करने की फीस 40 रुपए तय की गई है।
निर्वाचन आयोग की ये है तैयारी...
- कोरोना संक्रमण के कारण निकायों में 2387 पोलिंग बूथ बढ़ा दिए
- गए हैं।
- प्रदेश के 344 नगरीय निकायों में वोटिंग 2 चरण में होगी।
- निकाय चुनाव में पहली बार आॅफलाइन के अलावा आॅनलाइन नामांकन फॉर्म जमा करने की सुविधा एमपी आॅनलाइन पर दी जा रही है. फॉर्म जमा करने की फीस 40 हजार रुपए तय की गई।
- आयोग ने कोरोना संक्रमण के कारण राज्य सरकार से 20 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट मांगा है।
- चुनाव की तारीख से 30 दिन के भीतर प्रत्याशी या उसके अधिकृत एजेंट को जिला निर्वाचन अधिकारी के पास व्यय लेखा दाखिल करना होगा
- महानगर के पार्षद को 8 लाख 75 हजार रुपए खर्च करने का अधिकार रहेगा, जबकि नगर पंचायत के पार्षद के लिए खर्च का दायरा 75 हजार रुपए तक रहेगा।