सम्बद्धता शुल्क के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी, सतना के दो कॉलेजों ने जमा की जाली रसीद
सतना | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के साथ सम्बद्धता रखने वाले सतना जिले के दो कॉलेजों ने लाखों की धोखाधड़ी की है। विश्वविद्यालय द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए जाने के पश्चात दोनों महाविद्यालय अब माफी मांग रहे हैं और दोष कियोस्क सेंटर संचालक पर मढ़ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि कॉलेजों द्वारा विश्वविद्यालय को सम्बद्धता शुल्क की जाली रसीद उपलब्ध कराई। इतना ही नहीं दोनों महाविद्यालयों ने जो माफीनामा भेजा, उसकी वजह भी एक ही बताई गई। ऐसे में सीकेट कन्या महाविद्यालय मैहर और सतना डिग्री कॉलेज के संचालक कठघरे के दायरे में आ जाते हैं।
दरअसल मामला सम्बद्धता शुल्क से जुड़ा हुआ है। सतना डिग्री कॉलेज द्वारा शैक्षणिक सत्र 2018-19 में विश्वविद्यालय को एक लाख रुपए की कियोस्क के माध्यम से निकली रसीद जमा की। जबकि वास्तविकता में आॅनलाइन जमा शुल्क एक लाख नहीं बल्कि मात्र 10 हजार रुपए रहा। इसी प्रकार सीकेट कन्या महाविद्यालय मैहर ने भी 2 लाख 60 हजार रुपए की कियोस्क से निकली रसीद विश्वविद्यालय को सौंपी।
जबकि आॅनलाइन जमा सम्बद्धता शुल्क 2 लाख 60 हजार नहीं सिर्फ 26 हजार रही। मजे की बात तो यह है कि जब विश्वविद्यालय ने दोनों कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस भेजा तो प्राचार्य सीकेट कन्या महाविद्यालय और प्राचार्य सतना डिग्री कॉलेज का जवाब एक जैसा रहा। दोनों कॉलेजों ने ही कियोस्क सेंटर संचालक पर दोष मढ़ दिया।
विवि ने समाप्त नहीं की संबद्धता
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के साथ लाखों रुपए की धोखाधड़ी हुई है। बावजूद इसके कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक सीमित है। शैक्षणिक सत्र 2018-19 की सम्बद्धता शुल्क अब तक अप्राप्त है बावजूद इसके कॉलेजों को मान्यता मिली हुई है। कुलपति द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजे जाने के बाद टीप भी दी गई थी। मगर आज दिनांक तक दोनों कॉलेजों के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई और विश्वविद्यालय को शेष सम्बद्धता शुल्क भी नहीं मिली है।
प्रबंधन ने पूछा एफआईआर क्यों नहीं कराई
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह टीप दी कि जब कियोस्क संचालक ने आपके साथ धोखाधड़ी की और सतना डिग्री कॉलेज को 90 हजार रुपए और सीकेट कन्या महाविद्यालय को 2 लाख 34 हजार रुपए का चूना लगाया, तो संस्थानों ने उक्त कियोस्क संचालक के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं की और जब दो साल बाद विश्वविद्यालय की नजर में यह सामने आया कि संबंधित महाविद्यालयों द्वारा सम्बद्धता शुल्क का मात्र 10 प्रतिशत जमा किया गया है, तो इसकी जानकारी प्रबंधन को पहले क्यों नहीं दी गई।
फिलहाल बाहर हूं। कार्यालय पहुंचकर मैं इस मामले की बिन्दुवार जांच करूंगा और अगर ऐसी त्रुटियां सामने आती हैं तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. राजकुमार आचार्य, कुलपति एपीएसयू