दिव्य विचार: संस्कार अच्छे तो भावनाएं अच्छी होंगी- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज

मुनिश्री प्रमाण सागर जी कहते हैं कि सारी भावनाएँ हमारे संस्कारों के ऊपर निर्भर करती हैं। संस्कार अच्छे तो भावनाएँ अच्छी। भावना अच्छी तो चरित्र अच्छा । चरित्र अच्छा तो जीवन अच्छा। सब लोग आज के युग में अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। मेरे बच्चे का भविष्य क्या होगा? बच्चे का भविष्य क्या होगा? कभी-कभी तो चिंता ऐसी हो जाती हैं कि पूछो मत। एक की शादी हुई दो महीने नहीं हुए थे और पत्नी बड़ी चिंतित होकर के आई बोली महाराजजी आजकल बहुत डर लगता है मेरा बच्चा होगा तो पता नहीं कैसा होगा? हम बोले अभी बच्चा पैदा नहीं हुआ और तुम अभी से चिंता कर रही हो। जब तक तुम ऐसी चिंता करोगे तब तक अच्छा बच्चा नहीं हो पाएगा। अच्छा बच्चा उत्पन्न करना है तो अच्छा जीवन जीओ, अपने आप बच्चा अच्छा हो जाएगा। हर माँ-बाप चाहते हैं कि मेरा बच्चा अच्छा हो।लेकिन सवाल ये है बच्चे अच्छे हो केवल ऐसे सोचने से बच्चे अच्छे होंगे, चिंता करने से अच्छे होंगे, या हम कुछ अच्छा करेंगे तब बच्चे अच्छे होंगे। कैसे होंगे, जब आप अच्छा करेंगे। आज मैं चार बातें आपसे कहने जा रहा हूँ। अपने बच्चों के भविष्य को निखारना चाहते हैं तो आप बच्चों की अच्छी परवरिश कीजिए। अच्छी परवरिश करने के लिये चार बातें जो उसके व्यक्तित्व को गढ़े, मजबूत बनायें चार उसके जीवन को ऊँचा उठायें उस संदर्भ में चार बातें आज आपसे कहने जा रहा हूँ। (1) पहली बात बच्चों को अच्छे संस्कार दे, जिसकी आज घोर कमी हो रही है। संस्कारों का बीजारोपण बच्चों में प्रारंभ से होना चाहिये। माँ के पेट में जब से बच्चा आता है तब से उसका माँ से संवाद जुड़ना शुरू हो जाता है। उस अवधि में माँ-बाप की जो भी प्रवृत्तियाँ होती हैं उसका असर उस बच्चे पर पड़ता है। अर्जुन और सुभद्रा के संवाद ने हम सबको ये बता दिया कि माँ का बच्चे के साथ पेट में कैसा संवाद होता है। काश सुभद्रा यदि सोई नहीं होती तो अभिमन्यु मरा नहीं होता । वो चक्रव्यूह में फँसा, खोया तो एक अभिमन्यु था पर आज की सोई हुई सुभद्रा के कारण कितने अभिमन्यु इस संसार के चक्रव्यूह में फँस रहे हैं