दिव्य विचार: जीवन में सहजता अपनाएं- मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज
मुनि श्री प्रमाण सागर जी कहते है कि बंधुओं ! बहुत गहरी बात है। समझने की है। जीवन को सीधा वही कर पाते हैं जो साधना के प्रहार को झेलने के लिए तत्पर रहते हैं। और सीधे का ही उपयोग होता है टेढ़े-मेढ़ों को कोई उपयोग नहीं होता। इसलिए जीवन में सीधापन आए टेढ़ापन मिटे ये प्रयास होना चाहिए। सीधापन का मतलब है सहजता और टेढ़ेपन का मतलब है कृत्रिमता । सहजता और कृत्रिमता जो मनुष्य समझ लेता है उसके जीवन में ही सीधापन या सरलता आती हैं। सहजता के लिए मनुष्य को कुछ अतिरिक्त प्रयत्न करने की जरूरत नहीं होती। आपने अनुभव किया आप कब ज्यादा खुश रहते हो? जब सहज रहते हो तब या जब किसी प्रकार की कृत्रिमता को ओढ़ लेते हो तब ? इस समय आप बैठे हैं। साधारण व्यक्ति भी उसी ड्रेस में हैं और हाई प्रोफाइल कहलाने वाले लोग भी उसी ड्रेस में हैं। आप को कैसा लग रहा है? कुछ अंतर महसूस हो रहा है? क्या ऐसा लग रहा है कि मेरा स्टेटस (प्रतिष्ठा) क्या है, मैं सबके बराबर हूँ? ऐसा कुछ इसलिए नहीं लग रहा क्योंकि इस घड़ी में आप सहजता को अपनाए हुए हो। लेकिन जब आप अपनों के सर्किल में जाओ, तथाकथित बड़े लोगों के बीच में रहो और उस समय यदि आप के बीच में कोई दूसरा व्यक्ति आप से हीन स्टेटस (प्रतिष्ठा) वाला आए तो उस समय उसे क्या फीलिंग (अनुभूति) होगी और आप को क्या फीलिंग होती है? कदाचित कभी ऐसी स्थिति आ जाए कि ऐसे लोगों के बीच रहना पड़े और आपके पास ढंग की गाड़ी न हो, ढंग के कपड़े नहीं, ढंग का चश्मा न हो तो आप अपने मन में क्या अनुभव करते हो इनफीरियारिटी (हीनभावना) की फीलिंग होती है। अरे ! महाराज जी ! कई बार ऐसा लगता है। कपड़े यदि ढंग से प्रेस नहीं हो पाया तो मन ऐसा होता है। क्यों, तकलीफ क्यों? तन पर कपड़ा है, सब कुछ है, किसी प्रकार की कमी नहीं है, आप वही हो, आपके गुण वही हैं, आपका व्यवहार वही है और आपका जो वैभव है वह भी वहीं का वहीं हैं, कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी मन में तकलीफ होती है।