बर्ड फ्लू से बचाव के लिए मुर्गी पालक पूरी सावधानी बरतें
रीवा | कलेक्ट्रेट सभागार में बर्ड फ्लू से संबंधित सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में रीवा संभाग के कमिश्नर राजेश कुमार जैन ने कहा कि बर्ड फ्लू संक्रामक रोग है। प्रदेश के कई जिलों में इसके प्रकोप से पक्षियों की मौतें हुई हैं। बर्ड फ्लू से बचाव के लिये सावधानियां बरतना आवश्यक है। सभी मुर्गी पालक सतत निगरानी रखें। मुर्गियों को साफ-सुथरा दाना खिलायें। मुर्गियों के पास मास्क लगाकर, दस्ताने पहनकर तथा अन्य सुरक्षा उपायों के साथ जायें। हाथों तथा जूतों को सेनेटाइज करें।
जिन दुकानों में मांस तथा अण्डे की बिक्री की जाती है। उनमें भी बर्ड फ्लू से बचाव के सुरक्षात्मक उपाय करें। बर्ड फ्लू से बचाव के लिये जिला स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसका फोन नम्बर 07662-292278 है। जिला तथा विकासखण्ड स्तर पर बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिये रैपिड रिस्पांस टीम तैनात कर दी गई हैं। इनके पास दवायें तथा सभी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध हैं। बैठक में आयुक्त नगर निगम मृणाल मीणा, पशु चिकित्सा अधिकारी तथा बड़ी संख्या में मुर्गी पालक एवं विक्रेता उपस्थित रहे।
सुरक्षित हैं ठीक से पके हुए कुक्कुट उत्पाद
बैठक में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा कि जिले में अभी बर्ड फ्लू के पालतू पक्षियों में प्रकोप के एक भी प्रकरण सामने नहीं आये हैं। मुर्गी पालन व्यवसाय सुरक्षा के साथ जारी रखें। चिकन तथा अण्डे उबालकर एवं अच्छी तरह से पकाकर खाना पूरी तरह से सुरक्षित है। कच्चे अथवा अध पके मांस को खाने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। कलेक्टर ने कहा कि सभी मुर्गी पालक अपनी मुर्गियों तथा अन्य पक्षियों पर नजर रखें। यदि असामान्य रूप से इनकी मौत होती है तो तत्काल उप संचालक पशु पालन से सम्पर्क करें। जिला स्तरीय कंट्रोल रूम में भी इसकी सूचना दी जा सकती है।
कोई प्रकरण नहीं आया सामने
बैठक में उप संचालक पशुपालन डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि रीवा जिले में अभी बर्ड फ्लू का कोई प्रकरण सामने नहीं आया है। रीवा शहर में कुछ स्थानों पर कबूतर तथा कौए मृत पाये गये थे जिनके नमूने जांच के लिये भोपाल भेजे गये हैं। बर्ड फ्लू वायरस से फैलने वाला रोग है। इसका प्रकोप मुख्य रूप से मुर्गियों तथा अन्य पक्षियों में होता है। इसका संक्रमण पशुओं तथा पक्षियों से मानव में हो सकता है। इसका प्रकोप होने पर पक्षियों की अचानक मौत हो जाती है।
मुर्गियों में अवसाद, उनकी आंखे लाल होना, पंख लहरदार हो जाना तथा मुर्गियों का एक साथ सिमटकर बैठना बर्ड फ्लू के प्रारंभिक लक्षण हैं। इसका प्रकोप होने पर मुर्गे की कलगी में नीलापन आ जाता है तथा उनके पैरों में हल्का खून बहने लगता है। इससे बचने के लिये मुर्गी पालक मुर्गी के बाड़ों में आवागमन सीमित रखें। वहां साफ-सफाई तथा सेनेटाइजेशन की व्यवस्था रखें। मास्क, ग्लब्स तथा एप्रेन पहनकर ही मुर्गी बाड़े में जायें। मुर्गी उत्पाद बेचते समय भी इनका पालन करें।