मामला नगर पंचायत चित्रकूट में पदस्थ कर्मचारियों का: संयुक्त संचालक ने तलब की कर्मचारियों की फाइल

सतना नगर पंचायत चित्रकूट में कर्मचारियों की नियमविरूद्ध तैनातियों के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। संभागीय आयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास रीवा  ने तीन कर्मचारियों की तैनाती से संबंधित फाइलों के साथ समचूी जानकारी को संभागीय कार्यालय तलब किया है। गौरतलब है कि स्टार समाचार ने गत दिवस अंधेरगर्दी: कोई ट्रांसफर के बाद तो कोई रिटायरमेंट के बाद भी कर रहा नौकरी शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान नगर पंचायत चित्रकूट में चल रही अनियमितताओं की ओर आकृष्ट कराया था जिसे संजीदगी से लेते हुए संभागीय संयुक्त संचालक ने सीएमओ से जानकारी मांगी है। 

संयुक्त संचालक के पाले में कार्रवाई 
संयुक्त सांचलक एसके सिंह ने चित्रकूट सीएमओ कृष्णपाल सिंह को सेवानिवृत्ति के बाद भी नौकरी कर रहे धीरेंद्र मिश्रा , तबादले के बाद भी नगर पंचायत में जमे शैलेंद्र सिंह व नियमविरूद्ध ज्वाइनिंग करने वाले कमलराज सिंह की फाइल के साथ संभागीय कार्यालय तलब किया है। सूत्रों की मानें तो सीएमओ फाइलों के साथ संयुक्त संचालक कार्यालय सोमवार को पहुंचे और उन्हें तीनों कर्मचारी की जानकारी मुहैया कराई।  अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संभागीय आयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास एसके सिंह इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं। 

और नगरीय प्रशासन सचिव भी हुए गुमराह 

नगर पंचायत चित्रकूट में कमलराज सिंह की तैनाती चर्चा का विषय बनी हुई है। कमलराज सिंह कोठी नगर पंचायत में थे जहां से उनका तबादला चंदिया के लिए किया गया था। बाद में रहस्यमयी अंदाज में उन्हें चित्रकूट नगर पंचायत में ज्वाइन करा लिया गया, जबकि चित्रकूट में पदस्थ रहने के दौरान उन पर कई संगीन आरोप लगे थे। बताया जाता है कि कोठी से स्थानांतरित किए जाने के बाद उन्होने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जज सुजाय पाल ने 25 जून 2020 को कोठी से चंदिया स्थानांतरित किए जाने के आदेश पर स्टे दे दिया। ऐसे में कमलराज को कोठी नगर परिषद में ज्वाइन करना चाहिए था क्योंकि 25 जून तक वे कोठी में ही पदस्थ थे।

बताया जाता है कि हाईकोर्ट के स्टे के बीच नगरीय प्रशासन सचिव ने कमलराज सिंह का स्थानांतरण चंदिया से चित्रकूट के लिए कर दिया जबकि हाईकोर्ट द्वारा स्टे दिए जाने के बाद कमलराज चंदिया में नहीं बल्कि कोठी में पदस्थ माने जाएंगे। जाहिर है कि स्टे की बात सचिव तक नहीं पहुंची और उन्हें गुमराह कर हाईकोर्ट के स्टे की जानकारी छुपा कर चंदिया से चित्रकूट का स्थानांतरण आदेश जारी करा लिया गया। इस नियुक्ति पर सांसद ने भी सवाल उठाया है और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को पत्र लिखते हुए बताया है कि अनियमितताओं के कारण ही कमलराज सिंह को चंदिया स्थानांतरित किया गया है, ऐसे में उनको चंदिया में ही रखा जाय। 

सवालों के घेरे में तैनाती 

मार्च 2016 में रिटायर हो चुके धीरेंद्र मिश्रा की तैनाती भी सवालों के घेरे में रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार उन्हें एक साल का और मौका दिया गया है यानि वे वर्ष 2022 तक नौकरी कर सकेंगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या 65 साल की आयु पूर्ण करने के बाद भी उन पर मेहरबानी की जाएगी क्योंकि मार्च 2021 को धीरेंद्र मिश्र 65 साल की आयु पूर्ण कर चुके होंगे? जबकि दूसरे कर्मचारी शैलेंद्र सिंह हैं जिनका स्थानांतरण मार्च 2020 में हो चुका है।  

इस मामले में जानकार सरकारी निर्देशों का हवाला देते हुए बताते हैं कि विशेष परिस्थितियों में ही कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन दिए जाने का प्रावधान है अन्यथा समान्य तौर पर आवश्यकता पड़ने पर संविदा कर्मचारी की तैनाती का प्रावधान है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर धीरेंद्र मिश्रा के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है जिसे घुमाकर वे नियुक्ति पा लेते  हैं? विभागीय सूत्रों की मानें तो नगर पंचायत उन्हें प्रति माह 18 हजार रूपए का भुगतान उनकी सेवाओं के लिए करता  है जबकि संविदा कर्मचारी 6 से 8 हजार में रखा जा सकता था। इसी प्रकार नगर पंचायत चित्रकूट में सहायक वर्ग -3 के पद पर पदस्थ शैलेंद्र सिंह को मार्च 2020 में संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के पत्र क्रमांक स्था/26/755/2020/एक/ 18624/ के जरिए तबादला किया गया था लेकिन शैलेंद्र सिंह अभी भी नगर पंचायत में ही डेरा जमाए हुए हैं।

इस मामले को संजीदगी से लेते हुए 27 नवंबर 2020 को नगरीय प्रशासन एवं विकास के संभागीय आयुक्त संचालक रीवा ने पत्र क्रमांक/सं.सं./भारमुक्त/2020/1844 ने नगर पंचायत के सीएमओ को पत्र लिखकर यह स्पष्टीकरण भी मांगा था कि जिस कर्मचारी का स्थानांतरण मार्च 2020 में किया गया है, उसे अब तक भारमुक्त क्यों नहीं किया गया है? 27 नवंबर को संभागीय आयुक्त द्वारा इस आशय के दिए गए निर्देश के बाद भी शैलेंद्र सिंह को नगर पंचायत चित्रकूट से भारमुक्त नहीं किया गया है। अब मामला जेडी के पास पहुंच गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जेडी नियमों के तहत फैसला लेकर नगर पंचायत चित्रकूट में मची अंधेरगर्दी पर अंकुश लगाएंगे। 

हमने जानकारी तलब की है। सीएमओ से इसकी पूर्ण जानकारी मागी गई है। दस्तावेजों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस मामले में किसी को ढील नहीं दी जाएगी। 

एसके सिंह, संभागीय आयुक्त संचालक, 
नगरीय प्रशासन एवं विकास रीवा