80 लाख की धोखाधड़ी में पकड़े गए तीन जालसाज
सतना | माला बनाने का झांसा देकर 200 लोगों से 80 लाख की धोखाधड़ी कर फरार हुए आर्टीफिशीयल गैलरी के संचालक राजेश तिवारी को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में फोटो के आधार पर धर दबोचा। संचालक के पकड़े जाने के बाद उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया गया। दो आरोपी फरार चल रहे हैं। जिनकी तलाश में पुलिस टीम छापेमारी कर रही है। पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से चार पहिया वाहन के अलावा सोने- चांदी के जेवरात व मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
आफिस में ताला लगाकर भाग गए थे आरोपी
आर्टीफिशीयल गैलरी के संचालक राजेश और उसके साथियों के द्वारा माला बनाने के नाम पर महिला और पुरुषों को जोड़ा गया। चैन मार्केटिंग सिस्टम से राजेश ने पांच सौ रुपए से लेकर 6 लाख रुपए तक लोगों से जमा कराए। तकरीबन 200 लोगों से 80 लाख रुपए से ज्यादा की राशि एकत्र करने के बाद जालसाज राजेश 8 जनवरी की रात बगहा स्थित आफिस में ताला बंदकर साथियों के साथ भाग निकला। अगले दिन सैकड़ों लोग कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। विजय कुमार द्विवेदी की शिकायत पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने 420, 34 के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की।
यूं फंसाता था जाल में
एसपी रियाज इकबाल ने बताया कि राजेश ने स्वीकार किया कि वह सितम्बर में दर्शन करने मैहर आया था। वहां माला 60 रुपए से लेकर 100 रुपए में बिक रही थी। जबकि वाराणसी कीमाला मंडी में रेट 5 से 10 रुपए के बीच है। तब प्लान किया कि सतना में माला बनवाकर खरीदा और बेचा जाए। प्लान तैयार कर राजेश साथियों के साथ सतना आकर होटल में रुका।
कुछ दिनों बाद बगहा में किराए का कमरा लिया। अखबार में एजेंट बनाने का विज्ञापन दिया। जिसके बाद लोगों ने सम्पर्क करना शुरू किया। विश्वास जीतने के लिए राजेश उन्हें 10 रुपए प्रति माला मजदूरी देता था। साथ ही 10 रुपए कमीशन भी देता। जो लोग 1 हजार जमा करते उनके हिस्से में 100 रुपए कमीशन जोड़ देता था। इस तरह राजेश ने एक-एक कर जिले भर में 200 से ज्यादा लोगों को जोड़ लिया। जिनके द्वारा 1 हजार रुपए से लेकर 6 लाख रुपए तक राजेश के पास जमा कराए गए।
फर्जी नाम और नम्बर का उपयोग
आरोपी राजेश बेहद शातिर है। स्वयं और साथियों की पहचान उसने उजागर नही होने दी। राजेश स्वयं का परिचय जबलपुर निवासी के रूप में देता था। आर्टीफिशियल गैलरी से जुड़े धोखाधड़ी के शिकार हुए लोग आरोपी गोपाल मिश्रा को राहुल जायसवाल और आदित्य को पंकज के नाम से जानते थे। जालसाजों के पास दो चार पहिया वाहन थे जिनमें से एक में जालसाजों ने इंदौर का नम्बर अंकित करा रखा था। पर्सनल मोबाइल का उपयोग नही किया जाता था। आरोपियों के द्वारा फर्जी आईडी के आधार पर मोबाइल सिम हासिल कर रखी थी।
दो आरोपियों की तलाश में छापेमारी
एसपी श्री इकबाल ने बताया कि दो आरोपी पवन सिंह पिता स्व. शिवाधार सिंह निवासी बथरा खुर्द थाना चौबेपुर जिला वाराणसी व आदित्यराज निवासी रत्नागिरी महाराष्ट्र फरार चल रहे हैं। दोनों आरोपियों की तलाश में पुलिस की अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं। वहीं गिरफ्त में आए राजेश के विरुद्ध महाराष्ट्र के घाटकोपर थाना में जालसाजी के दो प्रकरण दर्ज हैं। आरोपी को गिरफ्तार करने के दौरान उसके घर से न्यायालय से जारी वारंट भी मिले हैं।
यह सामान हुआ बरामद
आरोपियों के कब्जे से नीले कलर की गाड़ी क्र.यूपी. 63 टी/7914 जिसमें एक फर्जी नम्बर प्लेट क्र.एमपी.09 सीडी/ 0371 मिली है, 4 नग मोबाईल फोन, सोने की एक चैन, सोने की तीन अंगूठी, सोने का एक ब्रेसलेट व अन्य जरूरी दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
दूसरे के नाम से लिया आफिस
राजेश ने काम बढ़ने पर सुपरवाइजर दुष्यंत के जरिए आफिस की तलाश की। गढ़िया टोला में दलजीत सिंह का मकान 15 हजार रुपए मासिक पर मकान किराए पर लिया। इकरार नामा दुष्यंत ने पुष्पेन्द्र सिंह के नाम से तैयार कराया। राजेश की तरह कारोबार बढ़ाने के लिए दुष्यंत ने दिसम्बर में 3 लाख रुपए जमा कराकर माला बनाने का सामान लिया और शहर के कई लोगों को साथ जोड़ा। पुलिस ने बताया कि धोखाधड़ी में राजेश का साथ दुष्यंत निजी हित के लिए दे रहा था।
2 दिन की पुलिस रिमांड पर आरोपी
न्यायिक मजिस्ट्रेट पार्थ शंकर मिश्र ने जालसाजी के आरोपी गोपाल मिश्रा उर्फ राहुल मिश्रा छविनाथ मिश्रा, राजेश तिवारी पिता सीताराम तिवारी को 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। मामले में एडीपीओ संदीप कुमार ने राज्य की ओर से पक्ष रखा। रिमांड अवधि में आरोपियों से नगदी व अन्य सामान बरामद करने का प्रयास पुलिस के द्वारा किया जाएगा।
वाराणसी के चौबेपुर में छिपे थे दो आरोपी
फरार जालसाजों को दबोचने के लिए एसपी रियाज इकबाल के निर्देश पर सिविल लाइन पुलिस और साइबर सेल की टीम एक्टिव हुई। विवेचना के दौरान राजेश की तस्वीर पुलिस के हाथ लगी। इस बीच खबर आई कि राजेश यूपी के वाराणसी का रहने वाला है। राजेश को दबोचने के लिए मैहर देहात थाना प्रभारी भूपेन्द्र मणि पांडेय की अगुवाई में पुलिस टीम वाराणसी भेजी गई। पुलिस टीम के पास जालसाजों के ठिकानों की सटीक जानकारी नही थी। राजेश की तस्वीर लेकर पुलिस टीम होटल, ढावा, और दुकानों में पहुंची। इस बीच एक व्यक्ति ने राजेश के बारे में जानकारी दी।
तत्पश्चात पुलिस टीम ने आधी रात दबिश देकर राजेश पिता सीताराम तिवारी 50 वर्ष निवासी बथरा खुर्द थाना चौबेपुर जिला वाराणसी को गिरफ्तार कर लिया। राजेश की निशानदेही पर उसके सहयोगी राहुल उर्फ गोपाल मिश्रा पिता छविराज मिश्रा 27 वर्ष निवासी इटमा थाना चोलापुर जिला वाराणसी को धर दबोचा गया। वाराणसी गई पुलिस टीम के इनपुट पर सिविल लाइन पुलिस ने धवारी में दबिश देकर एक अन्य आरोपी दुष्यंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
दो हजार रुपए रोजाना लेता था आदित्य
शुरुआती दौर में राजेश के द्वारा पैसा जमा करने वालों को हाथ से बनी रसीद दी जाती थी। जब ज्यादा लोग उससे जुड़ने लगे तो उन पर विश्वास बनाए रखने के लिए राजेश ने मुम्बई के आदित्यराज से सम्पर्क किया। आदित्य कम्प्यूटर का अच्छा जानकार है। सतना आकर आदित्य ने आर्टीफिसियल गैलरी के नाम से बिलिंग डिवाइस का उपयोग कर रसीदें काटी। आरोपी आदित्य एक दिन का मेहनताना दो हजार रुपए लेता था। 20 दिन तक राजेश के साथ काम करने के बाद आदित्य मुम्बई भाग गया।
पुलिस टीम को 10 हजार रुपए का इनाम
जालसाजों को पकड़ने वाली पुलिस टीम को एसपी ने 10 रुपए के इनाम से पुरस्कृत किया है। कार्रवाई में टीआई सिविल लाइन अर्चना द्विवेदी, एसआई एनएन मिश्रा, रीना सिंह, मैहर थाना प्रभारी भूपेन्द्र मणि पांडेय, साइबर सेल प्रभारी अजीत सिंह सेंगर, प्रधान आरक्षक दीपेश विपेन्द्र मिश्रा, संदीप तिवारी, अजीत सिंह शामिल रहे।