परिवहनकर्ता को क्लीन चिट देने का अधिकार विवेचक को नहीं
रीवा। धान खरीदी केन्द्र अमिलिया अंतर्गत करीब 50 लाख रुपए की धान के गबन के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश त्योंथर सुनील कुमार जैन ने पुलिस विवेचना और विवेचक पर तल्ख टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि परिवहनकर्ता और उसके सहयोगियों को क्लीन चिट देने का अधिकार विवेचक को नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में वीरेन्द्र सिंह चंदेल और विकास केसरवानी वगैरह के विरुद्ध पुन: गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
गौरतलब है कि 2018-19 में सेवा सहकारी समिति अमिलिया खरीदी केन्द्र में धान उपार्जन में बड़े पैमाने पर घपला हुआ था। जिसमें अमिलिया खरीदी केन्द्र से उमरी कैप के लिए भेजी गई 16 ट्रक धान गायब हो गई थी। उक्त धान 49 लाख 60 हजार रुपए की थी। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने जांच में प्रभारी समिति प्रबंधक शुक्रमणि मिश्रा, परिवहनकर्ता वीरेन्द्र सिंह चंदेल, अनुराग सिंह उर्फ राहुल, विकास केसरवानी, आकाश केसरवानी आदि के विरुद्ध थाना चाकघाट में अपराध क्रमांक 98/19 आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 471, 201 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।
आरोप है कि खरीदी केन्द्र के प्रबंधक शुक्रमणि मिश्रा, वीरेन्द्र सिंह चंदेल, विकास केसरवानी, आकाश केसरवानी, अनुराग सिंह द्वारा सुनियोजित तरीके से 32सौ क्विंटल धान केन्द्र और भंडारण स्थल के बीच से गायब कर दी गई थी। जिसके परिवहन का आॅनलाइन चालान जारी किया गया था। लेकिन भण्डारण गोदाम में धान अनलोड नहीं हुई। नॉन की जांच कमेटी ने उपरोक्त के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश की थी।
पुलिस ने विवेचना में किया खेल
पुलिस विवेचना में चाकघाट थाना से बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई। न्यायालय में पेश आरोप पत्र में विवेचक द्वारा केवल खरीदी केन्द्र प्रबंधक शुक्रमणि प्रसाद मिश्रा के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किए गए। साथ ही दलील दी गई कि अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध अपराध नहीं बनता। विवेचक द्वारा जांच के दौरान उन प्रतिवेदनों को भी दरकिनार कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि परिवहनकर्ता एवं उसके सहयोगियों को भी अपराध में शामिल किया गया। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के बयान के आधार पर ही विकास केसरवानी, आकाश केसरवानी, वीरेन्द्र सिंह चंदेल एवं राहुल सिंह को क्लीन चिट दे दी। जबकि कमिटल न्यायालय में एडीपीओ द्वारा इन अभियुक्तों के विरुद्ध धारा 319 सीआरपीसी के तहत वाद प्रस्तुत किया गया था। यही नहीं पुलिस ने बिल्टी आदि में अभियुक्त आकाश केसरवानी के हस्ताक्षर एवं हस्तलिपि के मिलान का हवाला देते हुए आरोप के घेरे से बाहर निकाला।
गिरफ्तारी वारंट अवश्य तामील कराएं
एडीजे एसके जैन ने परिवहनकर्ता वीरेन्द्र सिंह चंदेल, आकाश केसरवानी, अनुराग सिंह उर्फ राहुल एवं विकास केसरवानी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 471, 120बी एवं 201 के अंतर्गत संज्ञान में लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि अपराध अत्यंत ही गंभीर प्रकृति का है तथा शासकीय धन के गबन से संबंधित है लिहाजा चारों अभियुक्तों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी हो तथा उस पर गिरफ्तारी वारंट तामील कराना सुनिश्चित किया जाए। इस मामले की अगली पेशी 26 फरवरी 20 है। उक्त तिथि पर अभियुक्तों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है।